लखनऊ, उत्तर प्रदेश में महज चार महीने पुरानी योगी सरकार के मंत्रियों का असंतोष सतह पर आने लगा है। नयी तबादला नीति के पालन में अपने ही विभाग में गंभीर अनियमितताओं की शिकायत मुख्यमंत्री से कर चुके उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक और लोकनिर्माण विभाग के मंत्री जितिन प्रसाद के बाद जलशक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक ने दलित होने के कारण विभाग में उन्हें कोई महत्व नहीं दिये जाने की शिकायत केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से करते हुए अपने इस्तीफे की भी पेशकश कर दी है।
बुधवार को मिली जानकारी के मुताबिक खटीक ने शाह को भेजे पत्र में कहा कि उन्हें विभाग में तवज्जो नहीं दी जा रही है और विभाग में भ्रष्टाचार भी खूब हो रहा है। उन्होंने मंगलवार को लिखे पत्र में विभागीय अनियमितताओं का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इन सब बातों से आहत होकर वह मंत्री पद से त्यागपत्र दे रहे हैं।
उन्होंने पत्र में कहा, “जल शक्ति विभाग में दलित समाज का राज्य मंत्री होने के कारण मेरे किसी भी आदेश पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है, न ही मुझे किसी बैठक की सूचना दी जाती है, न ही विभाग में कौन-कौन सी योजनाएं वर्तमान में संचालित है तथा उस पर क्या कार्यवाही हो रही है इत्यादि कोई सूचना अधिकारियों द्वारा नहीं दी जाती है। जिसके कारण राज्य मंत्री को विभाग के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं हो पाती है। सम्बंधित विभाग के अधिकारी राज्य मंत्री को केवल विभाग द्वारा गाड़ी उपलब्ध करा देना ही राज्य मंत्री का अधिकार समझते हैं।”
गौरतलब है कि हाल ही में पाठक ने स्वास्थ्य विभाग में हुए तबादलों में अनियमितताओं की शिकायत योगी से की थी। इसी प्रकार पीडब्ल्यूडी में भी तबादला नीति के पालन में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी सहित पांच वरिष्ठ अधिकारियों के विरुद्ध मुख्यमंत्री के निर्देश पर सख्त कार्रवाई की गयी।
खटीक ने विभाग में भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते हुए कहा, “इस विभाग में स्थानांतरण सत्र में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है।” उन्होंने अधिकारियों द्वारा उनकी बात को अनसुना करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी की भ्रष्टाचार के विरुद्ध ‘जीरो टारलेंस’ नीति को ध्यान में रखते हुये तबादलों में जब भ्रष्टाचार होने की बात उनके संज्ञान में आयी, तब उन्होंने तबादलों की सूचना गत नौ जुलाई को अधिकारियों से मांगी, लेकिन अब तक उसका कोई जवाब नहीं मिला।