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तिमाही नतीजों का बाजार पर रहेगा असर

मुंबई, अमेरिकी डॉलर की मजबूती, उच्च मूल्यांकन और निवेशकों के बहु-परिसंपत्ति रणनीति की ओर रुख करने से हुई बिकवाली के बावजूद नववर्ष में अर्थव्यवस्था काे लेकर निवेशकों की उम्मीद बढ़ने से हुई चौतरफा लिवाली की बदौलत बीते सप्ताह आधी फीसदी से अधिक चढ़े घरेलू शेयर बाजार पर अगले सप्ताह कंपनियों के चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के नतीजों का असर रहेगा।

बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 524.04 अंक अर्थात 0.7 प्रतिशत की छलांग लगाकर सप्ताहांत पर 79223.11 अंक पर पहुंच गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 191.4 अंक यानी 0.8 प्रतिशत उछलकर 24004.75 अंक पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में बीएसई की दिग्गज कंपनियों की तरह मझौली और छोटी कंपनियों के प्रति भी निवेश धारणा मजबूत रही। इससे मिडकैप 610.5 अंक अर्थात 1.32 प्रतिशत की तेजी के साथ सप्ताहांत पर 46936.08 अंक और स्मॉलकैप 1068.09 अंक यानी 1.94 प्रतिशत मजबूत होकर 56116.21 अंक हो गया।

विश्लेषकों के अनुसार, बीते सप्ताह के अंत में बाजार ने कमजोर प्रदर्शन किया, जिसका मुख्य कारण मजबूत अमेरिकी डॉलर, ऊंचे मूल्यांकन और निवेशकों द्वारा बहु-परिसंपत्ति रणनीति अपनाने की प्रवृत्ति रहा। हालांकि, ऑटो सेक्टर ने दिसंबर में अपनी मजबूत बिक्री के दम पर अन्य सूचकांकों से बेहतर प्रदर्शन किया, जो आमतौर पर कम मांग वाले माहौल को चुनौती देता है।

मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों में धीमी रिकवरी देखी गई जबकि लार्जकैप इस दौड़ में पीछे रह गए। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निरंतर बिकवाली, रुपये में गिरावट, कोर सेक्टर के आंकड़ों में मामूली सुधार और वर्ष 2025 में ब्याज दरों में कटौती की कम उम्मीदों ने निवेशकों की चिंताओं को बढ़ा दिया। इसके विपरीत घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने सकारात्मक रुख बनाए रखा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की आर्थिक नीतियों और ऊंचे मूल्यांकन को लेकर अनिश्चितता खासकर उभरते बाजारों में अल्पावधि में प्रभाव डाल सकती है। आने वाले दिनों में बाजार का ध्यान मुख्य रूप से वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही के नतीजों पर केंद्रित रहेगा, जिनमें तिमाही दर तिमाही सुधार की उम्मीद है। अगले सप्ताह सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी टीसीएस समेत कई दिग्गज कंपनियों के तिमाही परिणाम जारी होने वाले हैं।

इनके अलावा निवेशक बजट-पूर्व रणनीतियों के अनुसार अपने पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलित कर सकते हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व (एफओएमसी) की बैठक के मिनट्स, गैर-कृषि क्षेत्र में रोजगार और बेरोजगारी दर जैसे प्रमुख आर्थिक आंकड़े भी बाजार की धारणा को प्रभावित करेंगे। ऐसे में बाजार में अस्थिरता के इस दौर में निवेशकों को सतर्क रहते हुए लंबी अवधि की संभावनाओं पर ध्यान देना चाहिए। विभिन्न वैश्विक और घरेलू कारकों का प्रभाव बाजार की दिशा को निर्धारित करेगा।

अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में तेजी के दबाव में विश्व बाजार में आई गिरावट से हताश निवेशकों की स्थानीय स्तर पर हुई चौतरफा बिकवाली से सोमवार को सेंसेक्स 450.94 अंक लुढ़ककर 78,248.13 अंक और निफ्टी 168.50 अंक कमजोर होकर 23,644.90 अंक पर बंद हुआ।इसी तरह विश्व बाजार के मिलेजुले रुख के बीच स्थानीय स्तर पर आईटी, टेक और फोकस्ड आईटी समेत पांच समूहों में हुई बिकवाली से मंगलवार को सेंसेक्स 109.12 अंक टूटकर 78,139.01 अंक रह गया। वहीं, निफ्टी 0.10 अंक की मामूली गिरावट के साथ 23,644.80 अंक पर सपाट बंद हुआ।

वहीं, बुधवार को घरेलू शेयर बाजार ने नववर्ष का झूमकर स्वागत किया और नये साल में अर्थव्यवस्था काे लेकर निवेशकों की उम्मीद बढ़ने से हुई चौतरफा लिवाली की बदौलत पिछले लगातार दो दिनों की गिरावट से उबरकर सेंसेक्स और निफ्टी तेजी के साथ बंद हुए। सेंसेक्स 368.40 अंक की छलांग लगाकर 78,507.41 अंक और निफ्टी 98.10 अंक की मजबूती के साथ 23,742.90 अंक पर पहुंच गया।

इसी तरह विदेशी बाजारों के मिलेजुले रुख के बीच स्थानीय स्तर पर हुई चौतरफा लिवाली की बदौलत गुरुवार को शेयर बाजार लगातार दूसरे दिन गुलजार रहा। सेंसेक्स 1436.30 अंक की छलांग लगाकर 79,943.71 अंक और निफ्टी 445.75 अंक उछलकर 24,188.65 अंक हो गया।

वहीं, विश्व बाजार की गिरावट से हतोत्साहित निवेशकों की स्थानीय स्तर पर आईटी, बैंकिंग, तेल एवं गैस, टेक और फोकस्ड आईटी समेत चौदह समूहों में हुई बिकवाली से शेयर बाजार की पिछले लगातार दो दिनों से जारी तेजी सप्ताह के अंतिम कारोबारी दिवस शुक्रवार को थम गई। सेंसेक्स 720.60 अंक का गोता लगाकर 79,223.11 अंक और निफ्टी 183.90 अंक की गिरावट लेकर 24,004.75 अंक पर बंद हुआ।