नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय मुस्लिम समाज में तीन बार तलाक, हलाला और बहुविवाह प्रथा के संबंध में 30 मार्च को विचार के लिए मुद्दे तय करेगा। मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर, न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने श्तीन तलाक संबंधी मुद्दे तय करने को लेकर सुनवाई की, जिसके बाद इसे मार्च के आखिर तक के लिए टाल दिया गया।
न्यायालय ने गत मंगलवार को कहा था कि श्तीन तलाक संबंधी मुद्दों को 16 फरवरी को तय किया जाएगा और उसने पक्षों से सहमति योग्य बिंदुओं को पेश करने को कहा था। उच्चतम न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया था कि वह तीन तलाक संबंधी कानूनी प्रस्तावों पर केवल विचार.विमर्श करेगा। उच्चतम न्यायालय इस बात पर फैसला नहीं करेगा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत तलाक पर अदालतें नजर रखेंगी या नहीं।
उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि वह मुस्लिम समाज में प्रचलित तीन तलाकए हलाला और बहुविवाह के कानूनी पहलुओं से जुड़े मुद्दों पर ही विचार करेगा। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह इस सवाल पर विचार नहीं करेगा कि क्या मुस्लिम पर्सनल लाॅ के तहत तलाक की अदालतों को निगरानी करनी चाहिएए क्योंकि यह विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है।
पीठ ने कहा कि उसकी तथ्यों में कोई दिलचस्पी नहीं है। उसकी दिलचस्पी सिर्फ कानूनी मुद्दे पर फैसला करने में है। शीर्ष अदालत ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लाॅ के तहत तलाक को अदालतों की निगरानी या इनकी निगरानी वाली संस्थागत मध्यस्थता की आवश्यकता से संबंधित सवाल विधायिका के दायरे में आते हैं।
केन्द्र ने मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तीन तलाक, तलाक हलाला और बहुविवाह प्रथा का विरोध करते हुए लिंग समानता और पंथनिरपेक्षता के आधार पर इस पर नये सिरे से गौर करने की हिमायत की है।