सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली। राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक दरबार हॉल में आयोजित एक संक्षिप्त समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने न्यायमूर्ति ठाकुर को मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति ठाकुर ने न्यायमूर्ति एच एल दत्तू का स्थान लिया है, जो सेवानिवृत्त हुए हैं। न्यायमूर्ति ठाकुर 43वें मुख्य न्यायाधीश बने हैं। उनका कार्यकाल तीन जनवरी 2०17 को समाप्त होगा।
न्यायमूर्ति ठाकुर का जन्म चार जनवरी 1952 को जम्मू कश्मीर के रामबन जिले में हुआ था। वह अक्टूबर 1972 में वकालत के पेशे में आए। जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में उन्होंने दीवानी, आपराधिक, संवैधानिक, टैक्स एवं सेवा संबंधी मामलों की प्रैक्टिस की। उनके पिता स्वर्गीय डी डी ठाकुर भी अपने जमाने के नामी-गिरामी वकीलों में शुमार थे। न्यायमूर्ति ठाकुर 1986 में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए। वह 199० में वरिष्ठ अधिवक्ता बने। उन्हें 16 फरवरी 1994 को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया। मार्च 1994 में उनका तबादला कर्नाटक हाईकोर्ट किया गया, जहां उन्हें सितम्बर 1995 में स्थाई नियुक्ति प्रदान की गई। जुलाई 2००4 में वह दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त किये गए। बाद में उन्हें नौ अप्रैल 2००8 को दिल्ली हाईकोर्ट का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उसी वर्ष 11 अगस्त को उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का प्रभार ग्रहण किया। उन्हें 17 नवम्बर 2००9 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। अक्टूबर 2०14 में उन्हें राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ से 31 अक्टूबर 2०15 को उन्हें कानून में डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि प्रदान की गई।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, न्यायमूर्ति एच एल दत्तू, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, एम वेंकैया नायडू एवं रविशंकर प्रसाद, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, सुप्रीम कोर्ट एवं दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व एवं वर्तमान न्यायाधीश और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।