अहमदाबाद, उना में दलित युवकों की पिटाई का विरोध करते हुए गुजरात के दलित लेखक अमृतलाल मकवाना ने राज्य सरकार से उन्हें मिले पुरस्कार को वापस लौटाने की घोषणा करते हुए आरोप लगाया है कि प्रशासन को समुदाय (दलितों) के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है। मकवाना ने बताया कि वह अपना पुरस्कार और उसके साथ मिली 25,000 रूपए की राशि अहमदाबाद के जिलाधिकारी को वापस लौटाएंगे। सुरेन्द्रनगर जिले में वाधवान कस्बे के निवासी मकवाना ने कहा, गुजरात में ऐसी घटनाएं अकसर हो रही हैं, लेकिन सरकार दलितों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है। कांग्रेस से जुड़े रहे इस लेखक को गुजरात सरकार ने 2012-13 का दासी जीवन श्रेष्ठ दलित साहित्य कृति अवार्ड दिया था। लेखक को 25,000 रूपए नकद, एक प्रमाणपत्र और शॉल दिया गया था। मकवाना ने कहा, गिर सोमनाथ जिले के मोटा समधियाला गांव में जो हुआ वह बहुत भयावह और क्रूर है। दलितों के प्रति ऐसा अत्याचार निंदनीय है और उसने मुझे अंदर तक हिला दिया। दुख की बात है कि ऐसी घटनाएं हमारे आसपास लगातार हो रही हैं। उन्होंने कहा, करीब 50 लोग कुछ दलित युवकों की पिटाई करते हैं लेकिन सिर्फ 16 गिरफ्तार होते हैं। बाकि अभी तक आजाद क्यों घूम रहे हैं? मुझे सरकार की मंशा पर संदेह है। मुझे अब सरकार में विश्वास नहीं है। यदि नेताओं के मन में दलितों के लिए कोई सहानुभूति नहीं है, तो ऐसा पुरस्कार रखने का कोई औचित्य नहीं है। गिर सोमनाथ जिले में 11 जुलाई को मृत गाय की खाल उतार रहे कुछ दलित युवकों पर गाय की हत्या का आरोप लगाकर गौ-संरक्षकों ने उनकी पिटाई की थी। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद गुजरात में इसे लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं।