विधानसभा में नेता विरोधी दल और सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे रामगोविंद चौधरी ने शिक्षामित्रों को तत्काल शिक्षक बनाये जाने के पक्ष मे जबर्दस्त तर्क देते हुये कहा है कि यदि देश की किसी भी अदालत में दस-पंद्रह बरस लगातार वकालत करने वाला वकील मौका मिलने पर जज बन सकता है तो सरकारी स्कूल में दस-दस साल से पढ़ाने वाला शिक्षामित्र आखिर शिक्षक क्यों नहीं बनेगा।
सपा के मुख्य प्रवक्ता रामगोविंद चौधरी ने शिक्षामित्रों के जख्म पर मरहम लगाने वाली बात करते हुये कहा कि मौका मिलते ही शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति का सरकारी आदेश थमा दिया जाएगा। प्रदेश सरकार के तौर-तरीकों को खारिज करते हुए रामगोविंद चौधरी ने कहाकि शिक्षामित्रों को हक दिलाने के लिए कानून बदलने से भी परहेज नहीं है।
रामगोविंद चौधरी ने संवाद के दौरान तर्क दिया कि योगी सरकार को जनता ने छह महीने में ही खारिज कर दिया है। ऐसे में तय है कि मध्यावधि चुनाव होंगे और प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व में एक बार फिर पूर्ण बहुमत से सपा की सरकार बनेगी।
सरकार बनी तो शिक्षामित्रों की मुराद कितने दिन में पूरी होगी ? इस सवाल पर रामगोविंद चौधरी ने कहाकि सिर्फ 60 दिन। चौधरी ने कहाकि कोई किंतु-परंतु का मसला नहीं है। कानून बदलना होगा तो वह भी किया जाएगा। अध्यादेश लाने से भी नहीं पीछे हटेंगे, लेकिन सरकार बनने के अगले 60 दिन में शिक्षामित्रों के साथ में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति का आदेश होगा।
गौरतलब है कि चौधरी ने कुछ दिन पहले भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने भले ही कैसा फैसला सुनाया है, लेकिन प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार आएगी तो शिक्षा मित्रों को पुनः सहायक अध्यापक बनाया जाएगा। चौधरी ने सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद योगी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहाकि दुर्भाग्य है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध नहीं किया।
चौधरी ने आरोप लगाया कि पूर्वाग्रह के कारण योगी सरकार ने अदालत के आदेश पर पुनर्विचार के लिए आवेदन नहीं किया, क्योंकि सपा सरकार ने शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाया था और सहायक अध्यापक बने शिक्षामित्रों के दिल में अखिलेश यादव के लिए सम्मान है। रामगोविंद चौधरी ने आरोप लगाया कि संघ के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए मोदी और योगी की सरकार शिक्षा नीति में बदलाव करने की फिराक में है।