नयी दिल्ली, दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक आपातकालीन योजना सोमवार को लागू की गई जिसमें मशीनों से सड़कों की सफाई और इस क्षेत्र के भीड़भाड़ वाले इलाकों में वाहनों के सुचारू आवागमन के लिए यातायात पुलिस की तैनाती जैसे उपाय शामिल होंगे।
उच्चतम न्यायालय से अधिकार प्राप्त पर्यावरण प्रदूषण प्राधिकरण की एक सदस्य अनुमिता रायचौधरी ने कहा कि ‘ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान’ के तहत जनरेटरों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई गई है लेकिन इन पर एनसीआर में पाबंदी नहीं होगी क्योंकि क्षेत्र में बिजली आपूर्ति की स्थिति अच्छी नहीं है। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए इस योजना को लागू किया गया है। प्रदूषण का स्तर ‘बहुत खराब’ श्रेणी की तरफ जाना शुरू हो गया है। आपातकालीन योजना के तहत, शहर की वायु गुणवत्ता के आधार पर ठोस कदम लागू किये गये हैं। फिलहाल, वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में है जिसके कारण मशीनों से सड़कें साफ करने, कूड़ा जलाने पर पाबंदी, ईंट भट्टों पर प्रदूषण नियंत्रण उपाय और वाहनों के सुचारू आवागमन के लिए पुलिसकर्मियों की तैनाती दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में लागू है।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि अगर वायु प्रदूषण की स्थिति और बिगड़कर ‘बहुत खराब श्रेणी’ में जाती है तो पार्किंग शुल्क तीन-चार गुना बढाने तथा मेट्रो तथा बसों के फेरे बढाने जैसे अतिरिक्त उपाय किये जाएंगे। अगर वायु गुणवक्ता ‘गंभीर श्रेणी’ में चली जाती है तो सड़कों पर पानी का बार बार छिड़काव और ज्यादा धूल वाले मार्गों की पहचान जैसे उपाय लागू होंगे। इसके बाद भी, अगर वायु गुणवक्ता ‘‘गंभीर से अधिक’’ श्रेणी में चली जाती है तो दिल्ली में ट्रकों का प्रवेश रोकने, निर्माण क्रियाकलापों पर रोक तथा अन्य कदमों पर फैसला करने के लिए कार्यबल की नियुक्ति जैसे उपाय किये जाएंगे।
जीआरएपी के अलावा, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिल्ली-एनसीआर में 41 टीमें गठित की हैं जो प्रदूषण रोकने के लिए लागू नियमों के उचित क्रियान्वयन की निगरानी करेंगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 11 अक्टूबर तक, इन टीमों ने दिल्ली-एनसीआर में 96 जगह निरीक्षण किये हैं और आगामी दिनों में निरीक्षण और बढाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि दो सदस्यीय टीम ने 15 सितंबर को निरीक्षण शुरू किये थे। इस बीच, नासा से मिली उपग्रह तस्वीरों में पंजाब और हरियाणा में बड़े पैमाने पर पराली जलाने की गतिविधियां दिखाई दी हैं।