दिल्ली में जानलेवा धुंध से निपटने के लिए उच्च न्यायालय ने आपात निर्देश जारी किये

नयी दिल्ली, शहर में जारी धुंध के कहर के बीच दिल्ली उच्च न्यायालय ने वातावरण में धूल की मात्रा कम करने के लिए पानी का छिड़काव करने सहित अन्य कई निर्देश दिये हैं ताकि वायु की गुणवत्ता सुधारी जा सके। हालात को ‘‘आपात स्थिति’’ बताते हुए, न्यायमूर्ति एस. रविन्द्र भट और न्यायमूर्ति संजीव सचदेव की पीठ ने सरकार से कहा कि कृत्रिम वर्षा करवाने के लिए वह ‘‘क्लाऊड सीडिंग’’ के विकल्प पर विचार करे, ताकि वातावरण में मौजूद धूल और प्रदूषकों की मात्रा पर तुरंत काबू पाया जा सके।

अदालत ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह शहर में जहां तक संभव हो विनिर्माण कार्यों को प्रतिबंधित करने पर विचार करे और अल्पावधि कदमों के रूप में ‘सम-विषम’ फॉर्मूला लागू करे। पीठ ने कहा, ‘‘आज हम जिस स्थिति को झेल रहे हैं, लंदन उससे पहले गुजर चुका है। वह इसे ‘पी सूप फॉग’  कहते हैं। यह जानलेवा है। पराली जलना इसमें प्रत्यक्ष विलेन हैं, लेकिन अन्य बड़े कारण भी हैं।

पीठ ने कहा कि यह धुंध ‘‘वाहनों, विनिर्माण और सड़क की धूल तथा पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषण का जानलेवा मिश्रण है।’’ 1952 में लंदन को अपनी चपेट में लेने वाला यह ‘पी सूप’ धुंध अकसर बहुत मोटा, पीले/हरे/काले रंग का होता है और प्रदूषक तत्वों तथा सल्फर डाईऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों से मिलकर बनता है।

पीठ ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वह सुनिश्चित करे कि सड़कों पर ट्रैफिक जाम ना लगे और ड्यूटी करने वाले सभी पुलिसकर्मियों को मास्क उपलब्ध करवाया जाये। अदालत ने केन्द्रीय पर्यावरण सचिव को निर्देश दिया कि वह अगले तीन दिन में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों के साथ बैठक करें और वायु प्रदूषण को तत्काल कम करने की योजना बनाए।

वरिष्ठ अधिवक्ता और न्याय मित्र कैलाश वासुदेव ने अदालत से कहा कि शहर में वायु की गुणवत्ता सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है, पीठ ने उक्त कदम सुझाए। अदालत ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की ओर से प्रस्तावित कदमों को भी ध्यान में रखा है।

Related Articles

Back to top button