नयी दिल्ली, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी के जिन गांवों में चकबंदी पिछले 28 से 30 सालों से शुरू है और जिनका बस्ता बंद नहीं हुआ है वह बस्ता जल्द से जल्द बंद किया जाना चाहिए।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ. नरेश कुमार ने शुक्रवार को यहां बताया कि प्रदेश कांग्रेस ने दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में कहा गया है कि जिन गांवों में पिछले तीन दशक से चकबंदी चल रही है उनके बस्ते बंद होने चाहिए। ऐसे गांवों की सूची देते हुए उन्होंने कहा कि इन गांवों में कंझावला, खेड़ाकला, पूठखुर्द, सिंगोला आदि शामिल हैं।
उन्होंने यह भी मांग कि जिन गांवों की चकबंदी की योजना प्रस्तावित है उनमें लाडपुर, दरियापुर और ओचदी आदि गांव हैं, लेकिन जिन गांवों में चकबंदी संभव नहीं है और लालड़ोरा 1908 या 1952 बढ़ा नहीं है उन गांवों में फिरनी रोड से लगी हुई आबादी को एक्सटेंड लालड़ोरा मानते हुए नियमित किया जाना चाहिए। उनका कहना था जिन गांवों में चकबंदी 28 से 30 सालों से शुरू है और उनका बस्ता बंद नहीं हुआ है उन गांवों में दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग द्वारा भ्रष्टाचार की मंडी लगाई हुई है। एक दिन एक प्लाट एक व्यक्ति के नाम लगा दिया जाता है दूसरे दिन पैसे देकर दूसरा व्यक्ति अपने नाम लगवा देता है।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि आए दिन गांव के लोग आपस में झगड़ रहे हैं और वाद-विवाद के मामले गांव से निकल कर न्यायालय तक पहुंच रहे है। बस्ता बंद नहीं होने की वजह से सरकार ने जमीनों को बेचने पर रोक लगाई हुई है। एक और बड़ी समस्या यह है कि यदि किसी बच्चे के माता पिता का निधन हो गया है तो उनके बच्चों के नाम वह जमीन नहीं हो पाती है।
उन्होंने ज्ञापन की एक कॉपी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी भेजी है और उपराज्यपाल के साथ ही दिल्ली के मुख्यमंत्री से भी इस समस्या का जल्द समाधान करने की अपील की गई है।