दिल्ली ही नहीं उत्तर प्रदेश में भी हवा खराब

smogलखनऊ,वायु प्रदूषण की बयार बहते हुए दिल्ली से लगे एनसीआर और भारत के सबसे घनी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में भी पहुंच गई है। उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने बताया है कि आने वाले दिनों में वहां भी ‘एक्रिड स्मॉग’ होने की संभावना है। एक्रिड को गंध से जोड़ कर देखा जाता है। यह इस तरह का वायु प्रदूषण है जो केवल देख कर ही नहीं, बल्कि सूंघ कर भी महसूस किया जा सकता है। यानी जब स्मॉग दिखता है तब हवा एक्रिड होती है।इसमें तमाम ऐसी गैसों का मिश्रण होता है जो ग्रीन हाउस इफेक्ट और जलवायु परिवर्तन का कारण होती हैं।

 नई दिल्ली के आकाश में ऐसी गहरी धुंध पसरी है जो लोगों की आंखों में चुभ रही है और उनके गले में दर्द या खराश की शिकायत पैदा कर रही है। वायु प्रदूषण विशेषज्ञ इसके लिए कई तरह के प्रदूषकों को जिम्मेदार मानते हैं। उनका मानना है कि डीजल से चलने वाली कारें, मौसमी उपज के बाद खेतों की आग, कूड़े को जलाने, केरोसीन और गाय-भैंस के उपले या कंडे से जलने वाले चूल्हे तक से जहरीले तत्व हवा में घुल रहे हैं। जाड़ों के मौसम में गर्मी के मुकाबले हवा कम होती है जिससे वायु का बहाव भी कम हो जाता है और चीजें ठहरने से प्रदूषकों की परत जम जाती है।लखनऊ के क्षेत्रीय मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता के अनुसार जिस स्मॉग ने दिल्ली को घेरा हुआ है, वही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों पर भी छाई है।उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में यह स्मॉग देश के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में करीब 21 करोड़ लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है।

दिल्ली के पास स्थित एनसीआर के इन शहरों में अब तक वायु प्रदूषण को मापने के लिए कोई मॉनिटर नहीं लगे हैं। दिल्ली की ही तरह लखनऊ में भी हवा की जांच दिखाती है कि उसमें पीएम2.5 नाम के ऐसे छोटे कण मिले हुए हैं, जो सांस के साथ फेफड़ों में पहुंच कर उन्हें जाम कर सकते हैं। इनकी मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन की बताई गई सुरक्षित सीमा से कम से कम 40 गुना अधिक पाई गई है। भारतीय कानून के हिसाब से यह मात्रा सुरक्षित से छह गुना ज्यादा है। सरकारी संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड इंवायरमेंट ने बताया कि सरकारी आंकड़ों को देख कर पता चलता है कि बीते एक हफ्ते से दिल्ली पर छाया स्मॉग पिछले 17 सालों में सबसे बुरा है।

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