महंगाई की मार से जूझ रही जनता को राहत देने के बजाय केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने और चार तरीकों से जनता पर महंगाई का बोझा बढ़ाकर दिवाली के मौके पर लोगों का दिवाला निकाल दिया है। पिछले 24 घंटों मे नरेन्द्र मोदी सरकार के चार कड़े फैसलों और संकेतों ने जनता की कमर तोड़ने का काम किया है।
अब रेलयात्रियांे को अपने टिकट रद्द कराना महंगा होगा। रेलवे ने टिकट रद्द कराने संबंधी मौजूदा नियमांे मंे बदलाव किये हंै, जो 12 नवम्बर से प्रभावी हो जाएंगे। संशोधित नियमावली के अनुसार, प्रत्येक श्रेणी मंे टिकट रद्द कराने पर अब दोगुनी राशि कटेगी। चार्ट तैयार हो जाने के बाद कोई रिफंड नहीं मिलेगा। आरएसी एवं प्रतीक्षा सूची के टिकट पर केवल क्लर्क चार्ज की कटौती होगी, जो पहले की तुलना मंे दोगुनी कर दी गई है।
दूसरा कड़ा फैसला स्वच्छ भारत उपकर लगाने का निर्णय है। केन्द्र सरकार ने सेवाकर के दायरे मंे आ रही सभी सेवाओं पर 15 नवंबर से आधी फीसदी स्वच्छ भारत उपकर लगाने का निर्णय लिया है। इससे संग्रहित राशि का उपयोग स्वच्छ भारत अभियान पर व्यय किया जायेगा। बयान मंे कहा गया है कि 100 रुपये की सेवाआंे पर मात्र 50 पैसे का उपकर लगाया गया है।
केन्द्र सरकार ने रसोई गैस पर से सब्सिडी समाप्त करने के संकेत देकर जनता के पेट पर लात मारने का काम किया हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संकेत दियें हैं कि अब सब्सिडी सबको नही दी जायेगी। रसोई गैस पर से सब्सिडी समाप्त करने का सबसे ज्यादा असर मध्यम वर्ग पर पड़ेगा।
चैथा फैसला भी गरीब जनता को बैचैन करने वाला है। नरेन्द्र मोदी सरकार ने बजट घाटे को पूरा करने के लिये पेटोल पर एक रुपये साठ पैसे और डीजल पर चालिस पैसे प्रति लीटर उत्पाद शुल्क बढ़ाने की घोषणा की है। इससे पहले भी सरकार चार किस्तों मे उत्पाद शुल्क बढ़ा चुकी है।
सच्चाई यह है कि केन्द्र सरकार इस तरह के टैक्स उगाही के कार्य पहले भी कर चुकी है, लेकिन उसका कोई भी लाभ जमीन पर नजर नही आया। सरकार के अब तक के तुगलकी फैसलों से जनता को कोई राहत नही मिलती दिखती है। रसोई गैस पर जितने की सरकार सब्सिडी नही दे रही है उससे ज्यादा पैसा वह सब्सिडी समाप्त करने के विज्ञापन पर खर्च कर चुकी है। वहीं प्रधानमंत्री का स्वच्छता अभियान भी मात्र दिखावा ही साबित हुआ है। स्वच्छता अभियान झाड़ू पकड़कर फोटो खिंचवाने के नये फैशन से उपर नही उठ पाया है। ऐसे मे केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के ये निर्णय और संकेत जनता का दिवाली पर दिवाला निकालने के लिये काफी है।