लखनऊ, उत्तर प्रदेश के दुग्ध विकास मंत्री राममूर्ति वर्मा ने कहा है कि दुग्ध उत्पादकों को साप्ताहिक के बजाय उसी तारीख पर भुगतान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की मंशा है कि सबको गुणवत्तायुक्त दूध मिले। राममूर्ति वर्मा ने घोषणा की है कि प्रदेश में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादकों को दिए जाने वाली पुरस्कार की राशि में वृद्धि की जायेगी। इसके साथ ही दुग्ध उत्पादन की लागत की प्रतिपूर्ति हेतु दुग्ध मूल्य पर 4 से 5 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी भी प्रदान की जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाले प्रथम पुरस्कार विजेता दुग्ध उत्पादक को 1.00 लाख के स्थान पर 1.50 लाख रुपए एवं द्वितीय पुरस्कार विजेता को 75 हजार रुपए के स्थान पर 1.00 लाख रुपए नकद धनराशि देकर पुरस्कृत किया जायेगा। इसी प्रकार जनपद में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाले दुग्ध उत्पादक को 22 हजार के स्थान पर 51 हजार रुपए की नगद धनराशि देकर पुरस्कृत किया जायेगा।
गोकुल पुरस्कार वितरण समारोह में उन्होंने कहा कि वर्तमान में मंहगाई को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है, इससे दुग्ध उत्पादक कम से कम एक पशु का क्रय कर सकेंगे। उत्तर प्रदेश, देश का सर्वांधिक दुग्ध उत्पादक राज्य है जहां देश का लगभग 18 प्रतिशत दुग्ध का उत्पादन होता है। प्रदेश में प्रादेशिक कोआपरेटिव डेरी फेडरेशन से संबद्ध दुग्ध संघों द्वारा लगभग 08 हजार ग्राम स्तरीय दुग्ध सहकारी समितियॉ संचालित हैं, जिनके माध्यम से लगभग 03 लाख 50 हजार दुग्ध उत्पादक सदस्यों द्वारा दुग्ध उत्पादन करके नगरीय क्षेत्र के दुग्ध उपभोक्ताओं को गुणवत्तापरक दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद उचित मूल्य पर उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने कहा कि सहकारिता से जुड़े ग्राम स्तरीय दुग्ध समितियों के सदस्यों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से वर्ष 2001-02 से प्रत्येक वर्ष सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाले दुग्ध उत्पादकों को गोकुल पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है।
इस अवसर पर लगातार पॉच वर्षों से गोकुल पुरस्कार से सम्मानित फैजाबाद जनपद की धमथुआ समिति की सदस्य राजपति पूरे वर्ष में 1, 23, 241.5 लीटर दूध उत्पादित कर 6वीं बार वर्ष 2014-15 हेतु प्रदेश में प्रथम पुरस्कार विजेता बनीं हैं। श्रीमती राजपति को दुग्ध विकास मंत्री के करकमलों द्वारा एक लाख रुपए का नकद पुरस्कार, शील्ड एवं प्रमाण पत्र दिया गया।इसी प्रकार फर्रूखाबाद जनपद के हुसेनपुर दुग्ध समिति के सदस्य जाहर सिंह, जो कि वर्ष 2013-14 में प्रदेश के प्रथम गोकुल पुरस्कार विजेता रहे, उनके द्वारा वर्ष 2014-15 में 81, 313.00 लीटर दुग्ध समिति को देकर प्रदेश में द्वितीय स्थान प्राप्त किया गया है। श्री सिंह को पचहत्तर हजार रुपए की नकद धनराशि, शील्ड व प्रमाण देकर सम्मानित किया गया। श्री राजवीर सिंह जो कि जनपद बिजनौर के बसेडी दुग्ध समिति के सदस्य हैं, के द्वारा वर्ष में 60, 500.00 लीटर दूध दुग्ध समिति में दिया गया है। श्री राजवीर सिंह को तृतीय स्थान प्राप्त करने पर पच्चास हजार की धनराशि, शील्ड व प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत किया गया है। श्री सिंह वर्ष 2013-14 के भी गोकुल पुरस्कार विजेता रह चुके हैं। लखनऊ जनपद की बिटाना देवी विगत 09 वर्षों से लगातार जनपद स्तरीय गोकुल पुरस्कार प्राप्त करते हुए वर्ष 2014-15 हेतु 10वीं बार गोकुल पुरस्कार से सम्मानित की गयीं हैं। इसी प्रकार जनपद बस्ती के राजमणि लगातार 8वीं बार, जनपद चन्दौली की कुसुमलता देवी, 6वीं बार, जनपद औरैया के अभिषेक कुमार 6वीं बार, इलाहाबाद के विजय बहादुर 6वीं बार, जनपद बाराबंकी के सतीश सिंह चौथी बार एवं जनपद सीतापुर की सुधा पाण्डेय को चौथी बार गोकुल पुरस्कार का सम्मान प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
दुग्ध विकास मंत्री ने इस मौके पर प्रादेशिक कोआपरेटिव डेरी फेडरेशन द्वारा उत्पादकों को प्रशिक्षण एवं विकास कार्यक्रमों को गति प्रदान करने एवं कौशल उन्नयन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सीजी सिटी, लखनऊ में पॉच एकड़ भूमि पर 4.95 करोड़ रुपए से पीसीडीएफ के तीसरे सहकारी डेरी प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण भी किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश के पचहत्तर जनपदों के सहकारी दुग्ध समितियों से जुड़े दुग्ध उत्पादकों को प्रशिक्षण एवं विकास कार्यक्रमों की जानकारी हेतु प्रशिक्षण के लिये पीसीडीएफ द्वारा सहकारी डेरी प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान मेरठ एवं वाराणसी संचालित किये जा रहे हैं। नवनिर्मित प्रशिक्षण संस्थान की क्षमता 60 प्रशिक्षणार्थी प्रतिदिन होगी, इसमें प्रशिक्षण कक्ष, आवासीय एवं भोजन व्यवस्था, प्रयोगशाला, पुस्तकालय एवं प्रशिक्षण सामग्री कक्ष आदि उपलब्ध हैं। दुग्ध विकास मंत्री ने कहा कि इस समय दूध की कमी है जिसका कारण दूध को दुग्ध संघों तक न पहुंचाकर उसका उपयोग अन्य कार्यों में हो रहा है।