भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने आज कहा कि आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रमुख शिक्षण संस्थानों की स्थिति बुरी है जो केवल विकसित देशों को पूंजी हस्तांतरण में ही योगदान देते हैं और देश का युवा ‘कपड़ा निर्माता’ के बजाय ‘दर्जी’ बनकर रह जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी लेना अच्छी बात है लेकिन अंतत: हमारी परियोजनाएं हमारे युवाओं के लिए रोजगार और राजस्व का निर्माण नहीं करतीं, बल्कि दूसरों के लिए लाभ अर्जित करने की जमीन तैयार करती हैं। पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री जोशी ने सुझाव दिया कि सरकार को विकास योजनाएं शुरू करने से पहले देश की तकनीकी शक्ति का आकलन करना चाहिए। जोशी ने कहा कि सरकारों को यह समझने की जरूरत है कि उन्हें इस तरह की योजनाओं पर आगे बढ़ने से पहले देश की प्रौद्योगिकी शक्ति का आकलन करने की जरूरत है ताकि उनसे देश को दीर्घकालिक नुकसान नहीं हो।
जोशी ने आज कहा कि आईआईटी और आईआईएम खराब स्थिति में हैं। वे केवल विकसित देशों को पूंजी हस्तांतरण में योगदान दे रहे हैं। हम यहां अवसर पैदा नहीं कर रहे और इन संस्थानों से उत्तीर्ण होने वाले छात्र केवल दूसरे देशों की बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रबंधन में योगदान दे रहे हैं। वह पीएचडी चैंबर द्वारा शैक्षणिक-औद्योगिक इंटरफेस को संस्थागत बनाने के विषय पर आयोजित पांचवें राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।लोकसभा सदस्य जोशी ने कहा कि देश प्रौद्योगिकी का निर्माण करने के बजाय प्रौद्योगिकी दूसरे देशों से लेने पर अधिक ध्यान दे रहा है जिससे शिक्षित युवा ‘वस्त्र निर्माता’ के बजाय ‘दर्जी’ बनकर रह जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वाजपेयी जी ने चतुष्कोणीय सड़कों का अद्भुत विचार रखा था। लेकिन, इसके तहत सड़कों का निर्माण कैसे किया जाएगा, इसकी अवधारणा पर काम किये जाने से पहले ही वॉल्वो कंपनी ने ऐसी बसें उतार दीं जो इन सड़कों पर चलाई जा सकती हैं।