नयी दिल्ली, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर रहेगी और चालू वित्त वर्ष में इसके सात प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।
निर्मला सीतारमण ने वॉशिंगटन डीसी में वार्षिक बैठक 2022 के दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा और वित्तीय समिति (आईएमएफसी) की बैठक में शामिल हुयी।
उन्होंने बैठक में कहा,”विश्व स्तर पर विपरित परिस्थितियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर रहेगी और वित्त वर्ष 2022-23 में इसके सात प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। यह सरकार के अनुकूल घरेलू नीति वातावरण और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख संरचनात्मक सुधारों पर केंद्रित रहने का परिणाम है।”
निर्मला सीतारमण ने मुद्रास्फीति प्रबंधन को आगे बढ़ाते हुए आर्थिक वृद्धि की रक्षा के लिए सरकार के फैसलों पर जोर दिया।उन्होंने कहा,”देश के विशाल सार्वजनिक वितरण नेटवर्क के जरिए बीते 25 महीनों में हमने 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया है।”
उन्होंने कहा कि गरीबों के लिए वित्तीय सेवाओं को अंतिम छोर तक पहुंचाना सरकार की प्रमुख प्राथमिकता रही है और इसे देश के डिजिटल पब्लिक गुड्स इंफ्रास्ट्रक्चर से मदद मिली है। वर्तमान में देश डिजिटल भुगतान नवाचारों के मामले में दुनिया में अग्रणी है और हमारी लेनदेन लागत अन्य देशों से सबसे कम है।
वित्त मंत्री ने कहा,”मेरा मानना है कि आईएमएफ को वैश्विक वित्तीय सिस्टम को सुरक्षित रखने के लिए उभरते और कम आय वाले देशों के लिए उपलब्ध संसाधनों को बढ़ाना चाहिए। कोटा की समान्य समीक्षा 15 दिसंबर 2023 को होनी है जो इस संगठन में भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मताधिकार को उनकी विश्व अर्थव्यवस्था में तुलनात्मक स्थिति के अनुसार बढ़ाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।”
वैश्विक अर्थव्यवस्था की हालत सुधरने की दिशा में एक बड़ा जोखिम कई देशों पर ऋण का भारी दबाव है इसलिए आवश्यक है कि आईएमएफ संकटग्रस्त देशों को भुगतान संकट से निपटने के लिए आवश्यक मदद करे।
इस संदर्भ में निर्मला सीतारमण ने देशों को खाद्य असुरक्षा से निपटने में मदद करने के लिए कोष की नयी फूड शॉक विंडो ( आपदा में खाद्य मदद) की हालहीं में लाई गयी पहल का स्वागत किया है।
जलवायु परिवर्तन पर वित्त मंत्री ने समानता और सामान्य बहुपक्षीय दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया जिसपर अलग-अगल जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं के सिद्धांतों के साथ कार्य करना है।उन्होंने कहा ,“ भारत ने हमारे बेहतर राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों के माध्यम से एक महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई पथ स्थापित किया है। यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से आर्थिक विकास को अलग करने के लिए देश की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।”
निर्मला सीतारमण ने कहा कि विकसित देशों से विकासशील देशों में जलवायु से जुड़ी वित्त और कम लागत वाली प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण का महत्वपूर्ण महत्व है।