कांकेर, छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के सुदूर एक इलाके में जंगलों में पड़ी मूर्तियों को खरोंचकर युवा अपना प्रेम तलाशते हैं। दरअसल प्रेम के मंदिर की पहचान रखने वाला ये स्थान जिला मुख्यालय से 180 किमी दूर बड़गांव इलाके के जंगल में है। यहां स्थित किनार खुटा देव के प्राचीन मंदिर को स्थानीय आदिवासी सम्मोहन के देवता के रूप में जानते हैं।
स्थानीय आदिवासियों की मान्यता है कि मूर्ति के चूरे में सम्मोहित करने की क्षमता है। ऐसे में इस घोर नक्सल इलाके में खुले में पड़ी इन मूर्तियों को लोग खरोंच कर ले जाते हैं। नजदीक रामपुर गांव के 65 साल के पुजारी दुर्गसाय तुलावी कहते हैं कि खुटा देव मंदिर को प्रेम के देवता के रूप में जानते हैं। यहां लोग सच्चे प्रेम की चाहतए घरेलू रिश्ते सुधारने की आस लेकर पहुंचते हैं।
हालांकि अादिवासियों की इस मान्यता के चलते ये पुरातात्विक महत्व की मूर्तियां देखरेख नहीं होने से नष्ट हो रही हैं। बताया जा रहा है कि कई मूर्तियां गायब हो रही हैं और जो बची हैं उन्हें लोग खुरचकर खंडित कर रहे हैं।