कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर देश के मुसलमानों को मसलकों के आधार पर बांटने का आरोप लगाया है। मोदी सरकार को हर मोर्चे पर नाकाम करार देते हुए उन्होंने देश कहा कि मुसलमानो को लेकर प्रधानमंत्री जी की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है। हम कैसे मान ले कि प्रधानमंत्री मुसलमानों के बीच अपनी छवि सुधारना चाहते हैं। अगर वो गुजरात के 2002 के दंगा पीड़ितों का ही पुनर्वास करवा दें तो उनका प्रयास सराहनीय होगा। इमानदार लगेगा। केवल भाषण देने से काम नहीं चलेगा। मुसलमानों के साथ इंसाफ हो और होता हुआ दिखे भी। भाजपा नेता मुसलमानों के खिलाफ जहर उगल रहें हैं। प्रधानमंत्री खामोश हैं। ऐसे सुधरेगी मुसलमानों के बीच छवि। नफरत फैलाने का ये सब खेल प्रधानमंत्री सख्ती से बंद कराएं।
सऊदी अरब मे मोदी को वहां के सबसे बड़े नागरिक सम्मान अब्दुल अजीज शाश से नवाजे जाने पर मोदी ने कहा कि सऊदी अरब ने मोदी जी को अपने यहां का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान दे ही दिया है तो इससे भारत को मुसलमानों को भला क्या फायदा होने वाला है। ये मोदी जी की व्यक्तिगत उप्लब्धि तो हो सकती है देश के मुसलमानों की नहीं। उनकी इस उपलब्धि पर भला देश के मुसलमान उनकी वाह वाही क्यों करेंगे। आतंकवादी घटनाओं मे दोषी पाए गए अभिनव भारत और अन्य कट्टरपंथी हिंदू संगठनों के लोगों को लगातार छोड़ा जा रहा है या उनसे नरमी बरती जा रही है। मुजफ्फरनगर दंगों के दोषी आज भी भाजपा और आरएसएस के सहयोगी संगठनो के सदस्य बने हुए है। रामजादे और हरामजादे का नारा देनेवाली साध्वी निरंजन ज्योति अभी तकर मंत्रीमंडल में बनी हुई है। मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने की धमकी देने वाले गिरीराज सिंह भी मंत्री बने हुए हैं। भाजपा शासित राज्यों में मुसलमानों के साथ लगातार भेदभाव हो रहा है। उन्हें स्कॉलरशिप तक नहीं दी जा रहीं। जहां दी जा रहीं हैं वहां समय पर नहीं मिल रहीं। सूफी सम्मेलन कराके और सऊदी अरब में सम्मान पाने से मुसलमानों का कोई भला होने वाला नहीं है। मुसलमानो का भला होगा उनके साथ इंसाफ करके और उन्हें सम्मान से उनका हक देकर।
महासचिव दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाते हुये कहा कि मोदी सरकार अंग्रेजों की बांटो और राज करो वाली नीति पर ही चल रही है। एक तरफ तो प्रधानमंत्री 127 करोड़ लोगों की बात करते हैं और दूसरी तरफ मुसलमानो में फूट डालने की कोशिश कर रहें हैं। अंग्रेजों ने भारत में अपनी हुकूमत को मजबूत रखने के लिए आरएसएस, हिंदू महासभा, जमात-ए-इस्लामी और कई संगठनों को आपस में लड़वाकर हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच पहले टकराव कराया और फिर उसे बढ़ावा दिया। आरएसएस और हिंदू महासभा जैसे संगठनो ने उस आजादी से पहले अंग्रेजों का साथ दिया था। अब मोदी जी उसी रास्ते पर चल रहे हैं। कभी वो सूफी सम्मेलन करवाते हैं। तो कभी वहाबी विचारधारा वाले सऊदी अरब से सम्मान लेते है। ये विरोधाभास क्यों… दरअसल सऊदी अरब की वहाबी विचारधारा आरएसएस को सूट करती है। दोनों दक्षिण पंथी है। एक दूसरे की सांप्रदायिकता की खुराक हैं। दोनों एक दूसरे को बढ़ाने में सहायक है। ये मुसलमानों को मसलक के आधार पर बांटने की साजिश है। इससे न सिर्फ मुस्लिम समुदाय कमजोर होगा बल्कि इससे देश कमजोर होगा। मोदी जी को चाहिए को सब समुदायों को साथ लेकर चलें। सबका साथ सबका विकास के अपने नारे पर अमल भी करके दिखाएं।