देश के 773 जिलों में 250 जिले डार्कजोन घोषित, जलखेत बनाने से मिट सकती है समस्या

बीकानेर, भारत के 773 जिलों में 250 जिले डार्कजोन घोषित हो गए हैं। 21 महानगरों में भूजल लगभग समाप्त हो गया है।

भारत की परमाणु सहेली के नाम से चिंतित डॉ. नीलम गोयल ने आज यहां पत्रकारों को बताया कि 80-90 प्रतिशत भूजल की मांग को कृषि में सिंचाई के लिए ही होती है और पिछले 10 वर्षों में ही भारत ने अपना 60 प्रतिशत भूजल खो दिया है।

उन्होंने बताया कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले एक ही दशक में राजस्थान का 80 प्रतिशत भूभाग हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो के सदृश्य बन जाएगा। पानी की इस त्रासदी के कारण कृषि एवं पंशुपालन, ग्रामीण अंचल के दोनों ही मुख्य व्यवसाय, अपना औचित्य खो रहे हैं। हर ग्रामीण परिवार से दो लोग बेरोजगार होकर शहरों की तरफ मुड़ रहे हैं। इस बात से चिंतित दूसरी ओर, हर साल भारत में 65 प्रतिशत वर्षाजल खेत-खेत व नदी-नहर-नालों द्वारा गांव-गांव से व्यर्थ ही बहकर समुद्र सागर में मिल जाता है।

डा गोयल ने बताया कि जल की समुचित व्यवस्था के लिए अगर इस व्यर्थ बहते वर्षाजल को खेत-खेत तक ही संग्रहित कर लिया जावे तो पानी की सम्पूर्ण मांग की आपूर्ति भारत का प्रत्येक गांव स्वयं ही कर सकेगा।

डॉ. गोयल ने बताया कि हर किसान परिवार को जल-आत्मनिर्भर बनाने के लिए जलखेत निर्माण करना होगा। उन्होंने आईआईटी खडगपुर के विप्र गोयल के साथ गत आठ से 15 जून तक (वर्षा प्रारंभ होने के दिन तक) सभी किसानों को तैयार करते हुए मॉडल स्वरुप 10 जलखेतों का निर्माण भी करवा चुकी है और यह 10 जल खेत इसी मानसून की बरसात के पानी से भर भी चुके हैं। इससे ग्रामीणजनों में एक ऐतिहासिक आशा का संचार हुआ और पूरी ग्राम पंचायत ऐसे ही जलखेत अपने-अपने खेतों पर बनवाने के लिए तैयार हो चुकी है।

Related Articles

Back to top button