नयी दिल्ली पत्रकारिता और मानवाधिकारों से जुड़े 30 से अधिक संगठनों ने मोदी सरकार के कार्यकाल में पत्रकारों पर बढ़ते हमले एवं उनकी हत्या की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है और इसे लोकतंत्र तथा अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए घातक बताया है।
कमेटी अगेंस्ट असाल्ट आन जर्नलिस्ट तथा प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया की ओर से शनिवार को यहाँ आयोजित दो दिवसीय सम्मलेन में यह चिंता व्यक्त की गयी। सम्मलेन में वक्ताओं ने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है लेकिन सरकार अपने खिलाफ लिखने वाले पत्रकारों को न केवल धमका रही है बल्कि झूठे मामलों में फंसा भी रही है और उनकी हत्याएं भी की जा रही हैं। हाल के वर्षों में गौरी लंकेश और शुजात बुखारी समेत 28 प्रमुख पत्रकार मारे गये और सौ से अधिक पत्रकारों को फंसाया गया और उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किये गए। साठ से अधिक पत्रकारों को धमकी दी गयी। भारत प्रेस की आजादी के अंतरराष्ट्रीय इंडेक्स में 136 से गिरकर 138 वें स्थान पर खिसकर नीचे चला गया है।
वक्ताओं ने यह भी कहा कि सरकार के खिलाफ लिखने पर सोशल मीडिया में उनकी ट्रोल किया जा रहा हैए उनके खिलाफ गाली.गलौज भी हो रहा है और उन्हें धमकियाँ भी दी जा रही है तथा प्रबंधन पर दवाब डालकर नौकरियों से भी निकला जा रहा है। छह सत्रों में होने वाले इस सम्मलेन के उद्घाटन में दक्षिण भारत के प्रसिद्ध फिल्कार प्रकाश राजए वरिष्ठ पत्रकार ललित सुरजन और आनंदस्वरूप वर्मा ने अपने विचार व्यक्त किये। इस सम्मलेन में इंडियन फेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स अलर्ट नेशनल अलायंस ऑफ़ पीपुल्स मूवमेंट पीपुल्स विजीलेंस कमेटी फॉर ह्यूमन राइट्स जैसी संस्थाओं के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।