नई दिल्ली, सरकार ने आज लोकसभा में बताया कि वर्ष 2013 से 2015 के दौरान देश में पुलिस हिरासत में कुल 308 मौतें हुईं जिनमें 122 मामले दर्ज किये गये, लेकिन किसी भी पुलिसकर्मी को दोषी करार नहीं दिया गया।
गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आज सदन में प्रश्नकाल में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में हिरासत में कुल 118, 2014 में 93 और 2015 में 97 मौतें हुई थीं। इस प्रकार कुल 308 मौतों के सिलसिले में 122 मामले दर्ज किये गये और 92 की न्यायिक जाँच शुरू की गयी। कुल 55 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किये गये, लेकिन इस दौरान एक भी पुलिसकर्मी को दोषी करार नहीं दिया गया।
एक पूरक प्रश्न के उत्तर में श्री रिजिजू ने स्वीकार किया कि पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों में महाराष्ट्र का अनुपात बहुत ज्यादा है। इस दौरान राज्य में कुल 75 ऐसे मामले सामने आये जो देश में हिरासत में हुई कुल मौतों का लगभग एक चौथाई है। तीन साल में एक भी मामले में पुलिसकर्मी के दोषी करार नहीं दिये जाने के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय भी सदस्यों की चिंता में शामिल है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कई बार हिरासत में होने वाली मौतों में स्वाभाविक मौतों के मामले भी होते हैं और हर बार प्रताडना ही इसका कारण नहीं होता।