भोपाल, मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जहां भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही दल सरकार बनाने के लिए एड़ी.चोटी के प्रयासों में जुटे हैंए वहीं दोनों के ही सामने कुछ अपने के बेगाने होने के बाद उनसे निपटना भी बड़ी चुनौती बन रहा है।
कांग्रेस जहां मुख्य तौर पर राजनगरए इंदौर.1ए करैराए होशंगाबाद और पांढुर्ना में भितरघात के खतरे का सामना कर रही हैए वहीं भारतीय जनता पार्टी के लिए भी ग्वालियर दक्षिणए दमोहए जबलपुर उत्तर और पन्ना जैसी सीटें भितरघात से समीकरण बिगाड़ सकती हैं। कांग्रेस ने राजनगर से वर्तमान विधायक विक्रम सिंह को ही दोबारा मौका दिया है। यहां से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी अपने बेटे नितिन चतुर्वेदी के लिए टिकट मांग रहे थे। पार्टी के टिकट नहीं देने के बाद नितिन चतुर्वेदी ने समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया है। पार्टी के श्री चतुर्वेदी और नितिन चतुर्वेदी दोनों को ही निष्कासित किए जाने के बाद यहां भितरघात की बड़ी आशंका है।
इंदौर.1 से कांग्रेस ने अपनी घोषित प्रत्याशी प्रीति गोलू अग्निहोत्री का नाम वापस लेकर संजय शुक्ला को अपना अधिकृत प्रत्याशी बना दिया। टिकट काटे जाने से नाराज श्रीमती अग्निहोत्री के समर्थक अब पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वहीं शिवपुरी जिले की करैरा में भी पार्टी ने मौजूदा विधायक शकुंतला खटीक का टिकट काट कर जसवंत जाटव काे टिकट दिया है। यहां श्रीमती खटीक के समर्थकों में उनका टिकट काटे जाने से खासी नाराजगी है। होशंगाबाद में पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी से हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व मंत्री सरताज सिंह को प्रत्याशी बनाया है।
सूत्रों के मुताबिक पार्टी के इस कदम से कई स्थानीय नेताओं में नाराजगी है और ये नाराजगी पार्टी को भारी पड़ सकती है। यही हाल कमोबेश छिंदवाड़ा जिले की पांढुर्ना सीट का भी है। यहां से पार्टी ने मौजूदा विधायक जतन उइके का टिकट काट दिया है। कांग्रेस पार्टी हालांकि कई बागियों को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद अब किसी प्रकार के भितरघात से पूरी तरह इंकार कर रही है। पार्टी प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने श्यूनीवार्ताश् से कहा कि कांग्रेस में भितरघात की कोई गुंजाइश नहीं है। ऐसे नामालूम से लोग थेए जिन्हें पार्टी बाहर का रास्ता दिखा चुकी है।
भाजपा के सामने भी कई सीटों पर भितरघात से निपटना बड़ी चुनौती है। पार्टी के लिए पन्नाए ग्वालियर दक्षिण और जबलपुर उत्तर जैसी सीटें मुश्किल का सबब बनी हुई हैं। ग्वालियर दक्षिण से जहां पार्टी से पूर्व महापौर रहीं समीक्षा गुप्ता बागी होकर चुनाव मैदान में हैंए वहीं जबलपुर उत्तर में भी पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे धीरज पटेरिया भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी प्रदेश सरकार के मंत्री शरद जैन के खिलाफ निर्दलीय के तौर पर ताल ठोक रहे हैं।
गुना जिले की बमोरी विधानसभा भी शिवराज सरकार में मंत्री रहे केएल अग्रवाल के भाजपा प्रत्याशी के सामने मैदान में होने के चलते पार्टी के लिए आशंका पैदा कर रही है। हालांकि भाजपा ने बगावती तेवर दिखा रहे इन तीनों समेत करीब पांच दर्जन नेताओं और कार्यकर्ताओं को निष्कासित कर दिया हैए उसके बाद भी भितरघात की आशंकाएं पूरी तरह समाप्त नहीं हुई हैं। प्रदेश में टिकट काटे जाने वाले नेताओं में सबसे अहम रही पन्ना विधानसभा भी अपने परिणामों से सबको चौंका सकती है। यहां से भाजपा ने शिवराज कैबिनेट में मंत्री कुसुम मेहदेले का टिकट काट कर ब्रजेंद्र सिंह को मौका दिया है। अपना टिकट काटे जाने से बेहद नाराज सुश्री मेहदेले सोशल मीडिया पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से इस बारे में शिकायत करने के बाद केंद्रीय मंत्री उमा भारती पर भी सवाल उठा चुकी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सुश्री मेहदेले की उपेक्षा पार्टी को भारी पड़ सकती है।
प्रदेश के एक और मंत्री जयंत मलैया की सीट दमोह भी इस बार भितरघात का शिकार बन सकती है। यहां से प्रदेश के ही एक पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया ने निर्दलीय नामांकन पत्र दाखिल कर श्री मलैया की मुसीबतों में इजाफा कर दिया है। कांग्रेस की ही तरह भाजपा का भी दावा है कि उसके सामने भितरघात कोई चुनौती नहीं है। पार्टी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि कार्यकर्ता आधारित पार्टी भाजपा से जो टूट कर गयाए वह कभी सफल नहीं हुआ। पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ ताल ठोंकने वाले लोगों को पार्टी ने निष्कासित कर दिया हैए ऐसे में अब कोई चुनौती नहीं है। प्रदेश की सभी 230 विधानसभाओं के लिए 28 नवंबर को मतदान होना है। चुनाव के परिणाम 11 दिसंबर को आएंगे। दोनों दलों का प्रचार इन दिनों जोरों पर है।