कानपुर, बिट्रिश काल का बना गंगा रेलवे पुल अब बूढ़ा हो चुका है और राजधानी जैसी सुपर फास्ट ट्रेनो के भार को ढोने में असमर्थ है। जिसके चलते रेलवे विभाग ने नवम्बर माह में पुल का रेनोवशन का कार्य करवाने के निर्देश दिए और मंगलवार से एक लाइन का कार्य शुरु हो गया है। इंजीनियरों के मुताबिक दो माह के मरम्मत पर इस पुल पर एक बार फिर राजधानी और शताब्दी दौड़ेगी। इग्लैंड की कंपनी ने सन 1908 में कानपुर शुक्लागंज रेलवे पुल का निर्माण किया था। कई दशक के बाद देश विदेश से आये इंजीनियरों ने इसकी अवधि सीमा खत्म होने की बात कही। उन्होंने विभाग से कहा कि जब तक इसकी मरम्मत होती रहेगी तो यह आगे और कई दशक ऐसा ही चलता रहेगा। सन 1994 में पुल की मरम्मत के बाद रेलवे विभाग ने 11 नवम्बर से एक बार फिर गंगापुल का रेलवे लाइन की रेनोवेशन के लिए इंजीनियरों को लगाया है।
इटावा के भरथना, बाराबंकी समेत कई शहरों से इंजीनियर कानपुर आ गये और मंगलवार से रेलवे की पहली लाइन की मरम्मत का कार्य शुरु कर दिया है। बताया गया है कि इस पुल की मरम्मत के चलते 200 से अधिक गाड़ियों के रुट में परिवर्तन किया गया है। चीफ इंजीनियरों से पूछताछ पर बताया कि पुल के एक लाइन चालू कर दूसरी लाइन का कार्य किया जा रहा हैं। उन्होंने यह कहा है कि पुल मरम्मत में लगभग दो माह का समय लगेगा। जिसके बाद इस पुल पर राजधानी, शताब्दी से लेकर कई सुपरफास्ट गाड़ियां धड़धड़ाते हुए दौड़ेगी। कई बड़े अधिकारियों ने गंगा रेलवे पुल का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि रेलवे गंगा पुल पर लगे कई टर्फ (गाटर) जर्जर अवस्था में पहुंच चुके है, जिनको बदलने के निर्देश दिए है। इंजीनियर ने बताया कि टर्फ, गाटर, सहित पटरी बदली जानी है। उन्होंने बताया कई सुपरफास्ट समेत माल गाड़ियां गुजरने के चलते पटरी चटक जाती है, इसको देखते हुए कि इस पुल पर बिछी रेलवे पटरी पर तीसरी बार लाइन बिछाई जायेगी जो 62 एमएम पटरियों की होगी। यह पटरियां बिछने से बढ़ी आसानी से पुल मालगाड़ी के भार को उठाने में सक्ष्म होगा।