द्वेष की धूल तले दबे बहुजन नायक ।
फारवर्ड प्रेस अक्टूबर 2015 अंक में पढ़िए गंगू तेली और गुरू घंटाल का सही इतिहास । आखिर कौन था गंगू तेली ? क्यों बदनाम हुए गुरू घंटाल ?
मैं जो सोच रहा हूँ , वह यह कि अरबी – फारसी में भूत – प्रेत आदि के लिए दर्जनों शब्द हैं । आखिर भारत की तथाकथित जनता ने उनमें से ” जिन ” का चुनाव क्यों किया ? इसलिए कि ” जिन ” जैनों के तीर्थंकर का पर्याय है ।आखिर आयातित शब्दों का चयन भी तो मायने रखता है ।
रही बात कि यह किस भाषा का शब्द है । विचार कीजिए कि गेहूँ किससे जुड़ा है – फारसी के गन्दुम से या संस्कृत के गोधूम से या फिर दोनों से ? ऐसे ही जिन किससे जुड़ा है – अरबी के जिन्न से या संस्कृत के जिः से या फिर दोनों से ? ध्यान रहे कि संस्कृत जि: का सीधा अर्थ भूत – पिशाच ही होता है , जबकि अरबी जिन्न का मूल अर्थ वह अदृश्य प्राणी जिसकी उत्पत्ति अग्नि से हुई है ।