पटना, बिहार की राजधानी पटना समेत पूरे राज्य में धनतेरस को लेकर बाजारों में रौनक देखने को मिल रही है।
पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धन्वंतरि त्रयोदशी मनायी जाती है, जिसे ‘धनतेरस’ कहा जाता है। यह मूलतः धन्वन्तरि जयंती का पर्व है और आयुर्वेद के जनक धन्वन्तरि के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। धनतेरस धन, वैभव एवं सुख समृद्धि का प्रतीक है। धनतेरस को लेकर बाजार में लोगों की काफी चहल- पहल देखी जा रही है। सबसे अधिक भीड़ आभूषण, इलेक्ट्रॉनिक्स और वाहन दुकानों में देखी जा रही है।
धनतेरस के दिन नये बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परम्परा है। धनतेरस पर बर्तन खरीदने की शुरुआत कब और कैसे हुई, इसका कोई निश्चित प्रमाण नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि जन्म के समय धन्वन्तरि के हाथों में अमृत कलश था और यही कारण इस दिन बर्तन खरीदना शुभ मानते हैं। राजधानी पटना में बर्तन की दुकानें सजने लगी हैं। पटना समेत प्रदेश के लगभग सभी जिलों में दीपावली और धनतेरस को लेकर पटाखों, मिठाई , बर्तन और सर्राफा बाजार में रौनक बढ़ गयी है।खरीददार त्योहार की खरीददारी करने लगे हैं। लोग अन्य पूजा सामग्री के साथ ही गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां खरीदने सुबह से ही बाजारों में पहुंचने लगे हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स, ज्वेलरी, बर्तन, ऑटोमोबाइल, फर्नीचर, सजावट और कपड़े की दुकानें ग्राहकों से गुलजार हो गई हैं। धनतेरस पर विभिन्न कंपनियों से लेकर शोरूम तथा बड़े-छोटे सभी प्रतिष्ठानों में कई तरह के ऑफरों की सौगात भी दी जा रही है।