सहारनपुर, राष्ट्र स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघ चालक डा. मोहन भागवत ने धर्म, भारतीय दर्शन, चिंतन और धर्मानुसार श्रेष्ठ आचरण की खूबियों को बयां करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि पूरे विश्व को धर्म का सही संदेश देना हर भारतीय का कर्त्तव्य बनता है।
सरसावा के पास श्रीकृष्ण मंदिर का भूमि पूजन करने के बाद समारोह को संबोधित करते हुये डा भागवत ने कहा कि धर्म की विशेषता सबको जोड़कर रखने की है। जो आनंद देती है, उन्नति करती है। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के गीता के उपदेश को धर्म का सार तत्व बताया और कहा कि उसका आचरण करना ही धर्म का पालन करना है। भगवान श्रीकृष्ण ने भागवत में चार गुणों का सबसे ज्यादा महत्व बताया है। सत्य, करूणा, सुचिता और तप (परिश्रम करना) ।
उन्होने कहा “ इस चौखट पर यानि कि इन चार बिंदुओं का पालन करना धर्म है और उससे बाहर के कदम अधर्म है। वास्तव में सारी दुनिया का धर्म एक ही है। पंथ और संप्रदाय अलग-अलग होने के बावजूद एक ही ईश्वर होने का संदेश देते हैं। धर्म आचरण का विषय है। धर्म आचरण का उपदेश देता है। उसका पालन करना चाहिए। कुछ भी करो, कुशलतापूर्वक एवं उत्तम करो।”
समारोह का आयोजन महाराष्ट्र के 12वीं शताब्दी के भारतीय संत एवं दार्शनीक और समाज सुधारक महानुभाव पंथ के अनुयायियों द्वारा किया गया था। उन्हीं के एक प्रमुख संत अनूप मुनि सहारनपुर के पंत नगर स्थित श्रीकृष्ण ज्ञान मंदिर के अधिष्ठाता हैं। जय कृष्णी परिवार के कविश्वर कुलाचार्य कारंजेकर बाबा के निमंत्रण पर मोहन भागवत आज प्रातः करीब सवा दस बजे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। उन्होंने पहले मंदिर के लिए भूमि पूजन किया, उसकी आधारशिला रखी, धर्म ध्वज फहराया और फिर समारोह को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि संतों के बीच पहुंचकर वे बहुत ही आनंद और संतोष का अनुभव करते हैं और वे हमेशा संतों और आध्यात्मिक शख्सियतों और संस्थाओं के निमंत्रण को समय होने पर सहर्ष स्वीकार करते हैं। जो भी बड़प्पन और खूबियां लोग उनमें देखते हैं और बखान करते हैं वैसा उनमें कुछ भी नहीं है। जो भी कुछ उनकी विशिष्टता हैं मात्र संघ के कारण है।