पटना, राजद प्रमुख लालू प्रसाद शनिवार को अपना 69 वां जन्मदिन मना रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लालू को जन्मदिन की मुबारकबाद दी। सुबह से ही लालू यादव को जन्मदिन की बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। लालू यादव के जन्मदिन के मौके पर जदयू के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री शनिवार सुबह लालू आवास पहुंचे और लालू को जन्मदिन की शुभकामना दी। राजद प्रमुख लालू प्रसाद अपने 69वें जन्मदिन पर शनिवार को 69 पाउंड का केक काटेंगे। राजद नेताओं ने विशेष केक तैयार करने के लिए बोरिंग रोड स्थित एक केक निर्माता को ऑडर दिया है। राजद के राज्य कार्यकारिणी सदस्य भाई अरुण ने यह जानकारी दी। युवा राजद की ओर से 69 किलो के फूलों की माला तैयार करायी गई है। युवा राजद की ओर से पटना सहित सभी जिलों में रक्तदान शिविर भी लगाया जाएगा। वहीं, पटना जिला युवा राजद ने इस दिन को सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। युवा राजद के प्रदेश प्रवक्ता प्रमोद कुमार सिन्हा ने बताया कि शनिवार को पटना हाईकोर्ट मजार पर जाकर चादरपोशी की जाएगी। वहीं मुख्य प्रवक्ता रणविजय साहू के नेतृत्व में एक टीम महावीर मंदिर जाकर प्रसाद चढ़ाकर लालू प्रसाद के दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करेगी। पटना जिला युवा राजद के अध्यक्ष सतीश कुमार चंद्रवंशी ने कहा कि सभी प्रखंडों में संगठन के अध्यक्ष केक काटकर गरीब जनता में वितरित करेंगे। जीवन परिचय: लालू प्रसाद यादव का जन्म 11 जून 1948 को हुआ। बिहार राज्य के राजनेता और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष हैं। वह 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। बाद में उन्हें 2004 से 2009 तक केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार में रेल मंत्री का कार्यभार सौंपा गया। जबकि वह 15 वीं लोक सभा में सारण (बिहार) से सांसद थे उन्हें बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में रांची स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की कोर्ट ने 5 वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी। इस सजा के लिए उन्हें बिरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार रांची में रखा गया था। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के विशेष न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा, जबकि उन पर कथित चारा घोटाले में भ्रष्टाचार का गम्भीर आरोप सिद्ध हो चुका था। 3 अक्टूबर 2013 को न्यायालय ने उन्हें 5 वर्ष की कैद और पच्चीस लाख रुपए के जुर्माने की सजा दी। 2 माह तक जेल में रहने के बाद 13 दिसम्बर को लालू प्रसाद को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिली। यादव और जनता दल यूनाइटेड नेता जगदीश शर्मा को घोटाला मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद लोक सभा से अयोग्य ठहराया गया। इसके बाद रांची जेल में सजा भुगत रहे लालू प्रसाद यादव की लोक सभा की सदस्यता समाप्त कर दी गई। चुनाव के नए नियमों के अनुसार लालू प्रसाद अब 11 वर्ष तक लोक सभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। लोक सभा के महासचिव ने यादव को सदन की सदस्यता के अयोग्य ठहराए जाने की अधिसूचना जारी कर दी। इस अधिसूचना के बाद संसद की सदस्यता गंवाने वाले लालू प्रसाद यादव भारतीय इतिहास में लोक सभा के पहले सांसद हो गए हैं।
बिहार के गोपालगंज में एक यादव परिवार में जन्मे यादव ने राजनीति की शुरूआत जयप्रकाश नारायण के जेपी आन्दोलन से की जब वे एक छात्र नेता थे और उस समय के राजनेता सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के काफी करीबी रहे थे। 1977 में आपातकाल के बाद हुए लोक सभा चुनाव में लालू यादव जीते और पहली बार 29 साल की उम्र में लोकसभा पहुंचे। 1980 से 1989 तक वे दो बार विधानसभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता पद पर भी रहे। 1990 में वे बिहार के मुख्यमंत्री बने एवं 1995 में भी भारी बहुमत से विजयी रहे। -जुलाई, 1997 में लालू यादव ने जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल के नाम से नई पार्टी बना ली। गिरफ्तारी तय हो जाने के बाद लालू ने मुख्यमन्त्री पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमन्त्री बनाने का फैसला किया। -जब राबड़ी के विश्वास मत हासिल करने में समस्या आई तो कांग्रेस और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने उनको समर्थन दे दिया। -1998 में केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी। 2 वर्ष बाद विधानसभा का चुनाव हुआ तो राजद अल्पमत में आ गई। – सात दिनों के लिये नीतीश कुमार की सरकार बनी परन्तु वह चल नहीं पायी। एक बार फिर राबड़ी देवी मुख्यमन्त्री बनीं। कांग्रेस के 22 विधायक उनकी सरकार में मन्त्री बने। – 2004 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद एक बार फिर किंग मेकर की भूमिका में आए और रेलमन्त्री बने।
यादव के कार्यकाल में ही दशकों से घाटे में चल रही रेल सेवा फिर से फायदे में आई। भारत के सभी प्रमुख प्रबन्धन संस्थानों के साथ-साथ दुनिया भर के बिजनेस स्कूलों में लालू यादव के कुशल प्रबन्धन से हुआ भारतीय रेलवे का कायाकल्प एक शोध का विषय बन गया। -लेकिन अगले ही साल 2005 में बिहार विधानसभा चुनाव में राजद सरकार हार गई और 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी के केवल चार सांसद ही जीत सके। इसका अंजाम यह हुआ कि लालू को केन्द्र सरकार में जगह नहीं मिली। -समय-समय पर लालू को बचाने वाली कांग्रेस भी इस बार उन्हें नहीं बचा नहीं पाई। दागी जन प्रतिनिधियों को बचाने वाला अध्यादेश खटाई में पड़ गया और इस तरह लालू का राजनीतिक भविष्य अधर में लटक गया।