नई दिल्ली, नक्सलवाद प्रभावित छत्तीसगढ़ में तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों की मौत का आंकड़ा हर साल बढ़ रहा है। इस वर्ष यहां तैनात 38 जवान अभी तक शहीद हो चुके हैं। हालांकि इस मामले में बिहार और झारखंड में अभी तक स्थिति नियंत्रण में है। वहां से ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई है। गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर ने यह जानकारी मंगलवार को यहां लोकसभा में एक लिखित प्रशन के उत्तर में दी।
उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो बिहार में 2015 में 2, 2016 में 11 और 2017 में शून्य सीआरपीएफ कर्मी मारे गए। जबकि छत्तीसगढ़ में यह आंकड़ा क्रमश 3, 18 और 38 है। वहीं झारखंड में 2015 और 2017 में अभी तक कोई ऐसी घटना नहीं हुई जबकि 2016 में 2 सीआरपीएफ कर्मी शहीद हो गए थे। उन्होंने बताया कि इसके अलावा तनाव, ह्दयाघात और मलेरिया, डेंगू, अवसाद, आत्महत्या व अन्य कारणों के चलते 2015 में 407, 2016 में 476 और 2017 में 313 सीआरपीएफ कर्मी मारे गए।
गृह राज्यमंत्री ने बताया कि प्रतिकूल स्थितियों में कार्य कर रहे कर्मियों का मनोबल बढ़ाने के लिए सरकार अनेक उपाय करती रहती है। नक्सलरोधी अभियानों में तैनात कर्मियों के लिए जोखिम भत्ते, मकान किराया भत्ते और तैनाती के पिछले स्थान पर सरकारी आवास को रखने की सुविधा में विस्तार के रूप में अतिरिक्त भत्तों व प्रोत्साहन राशि पहले से ही लागू है।
इसके अतिरिक्त, वित्तीय कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए बीमा और विभिन्न अग्रिम ऋण प्रदान किए जाते हैं। उपयुक्त आवास, चिकित्सा सुविधाएं, घायल व्यक्तियों को समय पर बचाना, बेहतर पदोन्नति के अवसर, वीरता पुरस्कार, पारितोषिक व प्रशंसा, शिकायत निवारण आदि जैसी मूलभूत सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।