नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण को भरोसा दिलाया है कि वह प्रकृति प्रेमी श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) द्वारा पश्चिमी उत्तर प्रदेश की प्रदूषित नदियों को साफ करने के लिए एंजाइम छोड़े जाने की योजना पर उठाये गये सवालों की जांच करेगी।
इस योजना के तहत कृष्णा और काली नदी को शामिल किया गया है जो क्रमशः सहारनपुर और मुजफ्फरनगर से निकलकर शामली जिले में बहती हैं। यहां से आगे वे हिंडन नदी में मिल जाती है और अंततः ग्रेटर नोएडा में यमुना नदी में मिलती हंै। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने न्यायाधिकरण को बताया कि वह याचिकाकर्ता आनंद आर्य की शिकायत पर गौर करेगा जिन्होंने उन खबरों का हवाला दिया था जिसमें एओएल ने घोषणा की थी कि वह उत्तर प्रदेश चुनावों के बाद नदियों में एंजाइम या बाहरी तत्व छोड़ेगा। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंत्रालय के अनुरोध पर याचिका का निपटारा कर दिया। पीठ ने कहा, जलवायु परिवर्तन, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से पेश हुये वकील ने कहा है कि वह याचिकाकर्ता द्वारा उठाये गये सवालों की कानून के मुताबिक जांच की जाएगी। दिये गये बयान के आधार पर याचिका को निपटाया जाता है।