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नर्मदा प्रसाद प्रजापति बने विधानसभा अध्यक्ष……..

भोपाल, कांग्रेस विधायक नर्मदा प्रसाद प्रजापति मंगलवार को मध्य प्रदेश की 15वीं विधानसभा के अध्यक्ष चुने गये। प्रोटेम स्पीकर दीपक सक्सेना द्वारा विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए भाजपा उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव पेश करने को अनुमति नहीं देने के बाद मुख्य विपक्षी दल (भाजपा) ने सदन से बहिर्गमन किया। इस बीच प्रजापति को इस पद के लिये चुन लिया गया।

भाजपा ने अध्यक्ष पद के निर्वाचन को अलोकतांत्रिक बताते हुए कहा कि इस संबंध में भाजपा कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श करेगी। इसके अलावा, भाजपा ने राज्यपाल से पर्यवेक्षक की मौजूदगी में अध्यक्ष पद का चुनाव फिर से कराने की मांग भी की है। पिछले 52 साल बाद यह पहला मौका है, जब मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनावी प्रक्रिया हुई। वर्ष 1967 में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था और उसके बाद से सर्वसम्मति से इस पद के लिए प्रत्याशी चुने जाने की परंपरा थी, जो आज टूट गई।

सत्र के दूसरे दिन आज सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही संसदीय कार्य मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह ने कांग्रेस सदस्य नर्मदा प्रसाद प्रजापति को अध्यक्ष बनाने के लिए प्रस्ताव पेश किया, जिसका पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आरिफ अकील ने समर्थन किया। प्रजापति के पक्ष में तीन अन्य विधायकों ने तीन अलग-अलग प्रस्ताव पेश किये और उनका समर्थन किया गया।

इसके बाद भाजपा ने पार्टी विधायक कुंवर विजय शाह का नाम अध्यक्ष पद के लिए पेश करने की अनुमति मांगी, लेकिन प्रोटेम स्पीकर दीपक सक्सेना ने यह कहते हुए इसकी अनुमति नहीं दी कि पहले प्रथम प्रस्ताव का निराकरण मिल जाये। भाजपा सदस्यों ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया और विधानसभा अध्यक्ष के आसन के पास जाकर नारे लगाये। इसके बाद सदन में हुए हंगामे के बीच प्रोटेम स्पीकर ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी।

सदन की कार्यवाही दुबारा शुरू होने पर हंगामे के बीच प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘‘प्रोटेम स्पीकर ने हमें प्रस्ताव रखने की अनुमति नहीं दी। यह अलोकतांत्रिक है। आज का दिन काला दिन है।’’ इसके बाद प्रोटेम स्पीकर ने कहा, ‘‘नियम के तहत मैं व्यवस्था दे रहा हूं।’’ इसके बाद जब बार-बार अनुरोध करने पर भी सदन में हंगामा बंद नहीं हुआ, तो उन्होंने सदन की कार्यवाही दूसरी बार 10 मिनट के लिए फिर स्थगित कर दी।

जब तीसरी बार सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो चौहान के नेतृत्व में भाजपा सदस्य अध्यक्ष के आसन के पास जाकर फिर नारे लगाने लगे।
इसी बीच, चौहान ने कहा, ‘‘एक वरिष्ठ आदिवासी नेता का नाम प्रस्तावित नहीं करने दिया गया। यह लोकतंत्र एवं सदन का अपमान है। हम सदन का बहिष्कार करते हैं।’’ चौहान ने कहा, ‘‘प्रोटेम स्पीकर ने हमें प्रस्ताव रखने की अनुमति नहीं दी। यह अलोकतांत्रिक है। आज का दिन काला दिन है।

भाजपा विधायकों के बहिर्गमन के बीच संसदीय कार्य मंत्री गोविंद सिंह ने कहा, ‘‘विपक्ष अपना प्रस्ताव भी रखे। उनके पास बहुमत नहीं है। अपनी कमजोरी को छिपाने के लिए बहिर्गमन कर रहे हैं। सदन में आकर अपना प्रस्ताव रखें। हम वोटिंग के लिए तैयार हैं।’’ मत विभाजन के बाद प्रोटेम स्पीकर ने कहा, ‘‘प्रस्ताव के पक्ष में 120 मत पडे हैं। विपक्ष में कोई मत नहीं पड़ा है। आधे से अधिक मत पड़े। अत: प्रस्ताव स्वीकृत हुआ। इसलिए (अध्यक्ष पद के लिए) दूसरा प्रस्ताव नहीं लिया जाएगा।’’ मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रजापति को अध्यक्ष पद पर चुने जाने की बधाई देते हुए कहा, ‘मुझे अधिक खुशी होती, यदि विरोधी दल सर्वसम्मति से चुनते।

’’ वहीं, नवनिर्वाचित अध्यक्ष प्रजापति ने मुख्यमंत्री एवं विधायकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, ‘’52 साल बाद इस सदन में चुनाव की प्रक्रिया हुई है।’’ भाजपा के सभी 109 विधायक विधानसभा से सीघे राजभवन गये और वहां जाकर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को एक ज्ञापन सौंपकर कहा कि अध्यक्ष पद का निर्वाचन लोकतांत्रिक तरीके से नहीं हुआ है। वहीं, भाजपा के वरिष्ठ विधायक एवं पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने राज्यपाल से मांग की कि पर्यवेक्षक की मौजूदगी में विधानसभा के अध्यक्ष पद का चुनाव फिर से कराया जाये। उन्होंने कहा कि इस संबंध में भाजपा कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श करेगी।