नई दिल्ली, देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में 2017-18 से दाखिले के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) लागू करने से संबंधित विधेयक को राज्यसभा ने आज ध्वनिमत से पारित कर दिया जिसके साथ ही इस पर संसद की मुहर लग गई। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। अन्नाद्रमुक और द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के सदस्यों ने विधेयक का विरोध करते हुए सदन से बहिर्गमन किया। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद् संशोधन विधेयक तथा दंत चिकित्सा संशोधन विधेयक पर एक साथ हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए नीट लागू करने के पीछे सरकार एक मात्र उद्देश्य मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाना तथा छात्रों को कैपिटेशन फीस से मुक्ति दिलाना है। नड्डा ने कहा कि इसके अलावा इन विधेयकों से नीट को सांविधिक दर्जा दिलाने का भी उद्देश्य है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विधेयक में मेडिकल कॉलेजों के लिए राज्य सरकारों के कोटे में कोई कमी नहीं की गई है और न ही उसमें किसी तरह का बदलाव किया गया है। राज्यों का कोटा पहले की तरह 85 प्रतिशत बना रहेगा। केन्द्र का कोटा 15 प्रतिशत होगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार इस परीक्षा के माध्यम से उत्तीण छात्रों की एक सूची बनाकर राज्यों को देगी और यदि कोई राज्य अपनी ओर से छात्रों को ग्रामीण या पिछडे क्षेत्र के आधार पर आरक्षण देना चाहता है तो वह दे सकता है। उन्होंने कहा कि नीट को एक साल टालने के लिए अध्यादेश इसलिए लाना पड़ा क्योंकि उच्चतम न्यायालय का फैसला आया था और नीट की व्यवस्थाओं के बारे में राज्य सरकारों की ओर से तीन आपत्तियां आई थीं जो भाषा, पाठ्यक्रम और परीक्षा के समय से सबंधित थीं। इनका निराकरण करने के लिए समय नहीं था संसद का सत्र खत्म हो चुका था और साथ ही नीट की पहले चरण की परीक्षा की तिथि घोषित हो चुकी थी।