भाजपा सरकार द्वारा लोगों के खाने पीने से लेकर बोलने तक पर पाबंदी लगाने के प्रयास लगातार जारी हैं। लेकिन ऐसी गलत पाबंदियों का प्रबल विरोध होने पर या न्यायालय द्वारा गलत ठहराने पर मजबूरन भाजपा सरकार को उसे वापस लेना पड़ रहा है। ऐसे ही एक मामले में महाराष्ट्र सरकार को मुंह की खानी पड़ी। महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने नेताओं की आलोचना करने पर देशद्रोह का केस चलाने सम्बंधी विवादित सर्कुलर जारी किया था। सर्कुलर के मुताबिक, नेताओं की आलोचना करने पर धारा 124-ए (देशद्रोह) के तहत मामला चलाया जा सकता था। यह सर्कुलर 27 अगस्त को जारी किया गया था। सरकार के इस फैसले की चैतरफा निंदा हुई थी। विवाद बढ़ता देख पिछले महीने राज्य सरकार ने इस पर दोबार विचार करने का भरोसा दिलाया था।
सर्कुलर की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई हैं। ये याचिकाएं कार्टूनिस्ट असीम और वकील नरेंद्र शर्मा ने दायर की हैं। विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद महाराष्ट्र सरकार ने देशद्रोह संबंधी कानून पर जारी विवादित सर्कुलर वापस ले लिया है। राज्य सरकार ने मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में इसकी जानकारी दी। सुनवाई के दौरान जस्टिस वी.एम कनाडे और शालिनी फणसालकर जोशी की खंडपीठ के समक्ष राज्य के महाधिवक्ता श्रीहरि अणे ने सर्कुलर वापस लेने की जानकारी दी। महाधिवक्ता ंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंत्रालय में अधिकारियों के साथ हाल ही में एक बैठक कर सर्कुलर वापस लेने का फैसला लिया। हालांकि महाधिवक्ता ने यह नहीं बताया कि सरकार नया सर्कुलर लाएगी या नहीं। कोर्ट के बाहर अणे ने कहा कि इस बारे में सरकार को फैसला करना है। बीते माह राज्य सरकार सर्कुलर के अनुवाद में गड़बड़ी की बात स्वीकार की थी। साथ ही, संशोधित सर्कुलर लाने की बात कही थी। इससे पहले हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस सर्कुलर को लेकर कदम उठाने से रोक दिया था।