नई दिल्ली, नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक की ओर से जारी आंकड़ों का विश्लेषण कर पाना अर्थशास्त्रियों के लिए भी भारी पड़ रहा है। इस फैसले को लेकर उठ रहे सवालों के बीच अब एक नया आंकड़ा सामने आया है जो अखरने वाला है। केंद्रीय बैंक का कहना है कि 13 जनवरी तक सर्कुलेशन में करीब 9100 अरब रुपये थे। जबकि भारतीयों ने इससे करीब 600 अरब रुपये (9 अरब डॉलर)ज्यादा की निकासी की। आरबीआइ की ओर से संसदीय समिति को सौंपी गई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। मुंबई की आनंद राठी सिक्योरिटीज में चीफ इकोनॉमिस्ट सुजान हजरा ने कहा कि सामान्य स्थिति में लोगों के हाथों में नकदी को सरकुलेशन में मौजूद करेंसी से कम होना चाहिए।
हालांकि, यह भी एक सच है कि आमतौर पर नोटबंदी नहीं होती है। स्थितियां तब और साफ होंगी जब केंद्रीय बैंक सभी तरह के मिलान करते हुए अंतिम आंकड़ों को जारी करेगा। 500 और 1000 की पुरानी नोटों को बंद करने के अचानक लिए गए फैसले ने नकदी की आपूर्ति और इसकी उपलब्धता में तालमेल बिगाड़ दिया है। इस स्थिति से कुछ अर्थशास्त्री और विशेषज्ञ चिंतित हैं। फिलहाल आरबीआइ की प्रवक्ता ने इस संबंध में कोई जानकारी देने से इन्कार कर दिया। जमा किए गए पुराने नोटों की मात्र को साझा करने से केंद्रीय बैंक मना कर चुका है।
पांच जनवरी को आरबीआइ ने कहा था कि गलतियां दूर करने के लिए वह अब भी नोटों की गिनती कर रहा है। आठ नवंबर को सभी को चौंकाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रणाली में मौजूद 17700 अरब रुपये में से 15400 अरब रुपये की नोटों को चलन से बाहर करने का एलान किया था। पुरानी नोटों को 30 दिसंबर तक बदला जाना था। रिपोर्ट कहती है कि नौ नवंबर से 13 जनवरी के बीच आरबीआइ ने करीब 5530 अरब रुपये के नए नोट छापे। सर्कुलेशन में उसने 2519.7 करोड़ नोट डाले जिनका मूल्य 6780 अरब रुपये है। इनके आने से सकरुलेशन में करीब 9100 अरब रुपये की कुल करेंसी पहुंच गई। 13 जनवरी तक लोगों ने बैंक काउंटरों और एटीएम से करीब 9700 अरब रुपये की निकासी की।