नई दिल्ली, नोटबंदी के मामले में देश की अलग-अलग अदालतों में केस दर्ज किए गए हैं। इस पर केंद्र सरकार चाहती है कि सभी मामले या तो सुप्रीम कोर्ट में एक साथ चलें या किसी एक कोर्ट में इन पर सुनवाई हो। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को झटका देते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया है। केंद्र सरकार ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई थी। मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता में तीन जजों की पीठ ने केंद्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इससे लोगों को फौरी तौर पर राहत मिलेगी। जस्टिस ठाकुर के अलावा पीठ में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल. नागेश्वर राव भी थे। तीन जजों की बैंच ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा, हम इस पर स्टे नहीं लगाना चाहते। बहुत से मामले हैं। लोगों को हाईकोर्टों से तुरंत राहत मिल सकती है। सुनवाई के दौरान पीठ ने अटॉर्नी जनरल से पूछा, हमें लगता है कि आपने जरूरी कदम उठाए होंगे। अब हालात कैसे हैं?
आपने अब तक कितना धन इकट्ठा किया है। इन प्रश्नों के जवाब में मुकुल रोहतगी ने कहा, हालात अब काफी बेहतर हैं। जब से नोटबंदी का फैसला लिया गया है, तब से अब तक 6 लाख करोड़ से ज्यादा रुपये बैंकों में जमा किए जा चुके हैं। यही नहीं उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि नोटबंदी के बाद ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा, नोटबंदी का कदम पिछले 70 साल में जमा हुए कालेधन से मुक्ति पाने के लिए उठाया गया और सरकार प्रतिदिन व प्रतिघंटे के हालात पर नजर रख रही है। अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार ने एक कमेटी भी गठित की है जो नोटबंदी के बाद देशभर में जमीनी हालात पर नजर बनाए हुए है। रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, एक साधारण नियम है कि मार्केट में जीडीपी का 4 फीसदी से ज्यादा कैश ट्रांजेक्शन नहीं होना चाहिए, लेकिन भारत में यह 12 फीसदी है। सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।
कोर्ट ने सभी याचिकाकर्ताओं से कहा है कि वे केंद्र सरकार द्वारा सभी मामलों को एक जगह ट्रांस्फर करने की याचिका के संबंध में दो दिसंबर से पहले अपनी राय दें। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 18 नवंबर को इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि बैंकों और डाकघरों के बाहर जनता की लंबी लाइनें गंभीर मामला है। कोर्ट ने केन्द्र के इस अनुरोध से असहमति व्यक्त की थी जिसमें यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों को बंद करने संबंधी आठ नवंबर की अधिसूचना को चुनौती देने वाली किसी भी याचिका पर देश में किसी भी अदालत को विचार नहीं करना चाहिए।
कोर्ट ने यह टिप्पणी उस वक्त की थी जब अटार्नी जनरल ने कहा था कि नोटबंदी को चुनौती देने संबंधी सभी मामलों पर सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को ही सुनवाई करनी चाहिए। इससे पहले पिछली सुनवाई में प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने केंद्र की याचिका पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया। जिसे स्वीकारते हुए न्यायालय ने इसे 23 नवंबर को सूचीबद्ध कर दिया। रोहतगी ने कहा था कि शीर्ष अदालत के निर्देशानुसार केंद्र ने याचिका दायर की है। शीर्ष अदालत ने 18 नवंबर को इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि बैंकों और डाकघरों के बाहर जनता की लंबी कतारें गंभीर मामला हैं।