नोटबंदी से बुवाई की चिंता ने किसान को चिता पर भेजा

झांसी, रक्सा थाना क्षेत्र में नोटबंदी के चलते समय पर बुवाई न हो पाने से परेशान एक किसान की आज सुबह हृदयाघात होने से मौत हो गई। मृतक के परिजनों का आरोप है कि बैंक के कई बार चक्कर लगाने के बाद भी रुपये न मिलने के कारण मृतक परेशान था और उसकी मौत हो गई। हालांकि पुलिस ने मामले में अनभिज्ञता जाहिर की। ग्राम पुनावली के मजरा कंचनपुरा निवासी पूर्व प्रधान शालिगराम वंशकार के पास पांच एकड़ जमीन है। उसके तीन बेटे हैं। दो बेटे दिल्ली में मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते हैं। जबकि एक बेटा सालिगराम वंशकार के साथ रहकर खेती किसानी कर जीवन यापन करता है।
शालिगराम के बेटे छोटू की मानें तो उसके पिता के पास जो जमा पूंजी थी वह बैंक में थी। खेत की बुवाई करनी थी। नोटबंदी के बाद उसके पिता रुपये निकालने के लिये कई बार बैंक के चक्कर लगा चुके थे, किन्तु बैंक मैनेजर ने हर बार कैश न होने की बात कर चलता कर दिया। इसके चलते समय पर खेत की बुवाई नहीं हो सकी। उसके पिता की चिंता का यही कारण था। उसने अपने पिता को समझाने की कोशिश की, लेकिन उनका कहना था कि पहले ही कुदरत ने कमर तोड़ रखी है और अब नोटबंद होने के बाद बैंक मैनेजर परेशान किए है। जैसे तैसे इस बार खेती से काफी उम्मीदें थी लेकिन नोटबंदी के बाद खेत में बुवाई न होने से सारी उम्मीदें खत्म हो गई।
अब जीकर क्या लाभ है। छोटू ने बताया कि इसी चिंता में आज सुबह अचानक उन्हें दिल का दौरा पड़ा। उन्हें उपचार के लिए मेडिकल काॅलेज ले जाया गया। यहां चिकित्सकों ने उपचार के दौरान उनकी मौत की घोषणा कर दी। इस संबंध में रक्सा थानाध्यक्ष मोहम्मद इमरान खान ने बताया कि उनके संज्ञान में ऐसी कोई घटना नहीं है। उन्होंने यह जरुर बताया कि 4 दिन पूर्व एक आत्महत्या को इस प्रकार जोड़ा जा रहा था। जबकि रक्सा प्रधान अशोक मिश्रा ने बताया कि घटना सत्य है। दिल का दौरा पड़ने से मजरा कंजनपुरा के पूर्व प्रधान शालिगराम की मौत हो गई है।