नई दिल्ली, पेटकोक और आयातित कोयले की बढ़ती कीमतों और नोटबंदी की वजह से सुस्त पड़ी मांग ने न सिर्फ सीमेंट उद्योग पर तत्काल प्रहार किया है, बल्कि अगली 2-3 तिमाहियों में भी इस क्षेत्र के उबरने की संभावना नजर नहीं आती है। पिछले वर्ष और मौजूदा साल की शुरुआत में पेटकोक की कीमत कम होने के कारण कई सीमेंट कंपनियां उत्पादन प्रक्रिया के दौरान कोयले के इस विकल्प का प्रयोग करने लगी थीं। हालांकि बाद में सीमेंट कंपनियों के मुनाफे पर दबाव बनाते हुए थर्मल कोक के साथ-साथ पेटकोक के दाम भी बढ़ते रहे हैं।
एसऐंडपी ग्लोबल प्लेट्स के आंकड़ों के अनुसार पेटकोक के दाम मध्य जुलाई से मध्य दिसंबर के दौरान 37 प्रतिशत बढ़कर 95.75 डॉलर प्रति टन पर आ गए जबकि आयातित कोयले के दाम जुलाई के 52 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 19 दिसंबर को 71.5 डॉलर प्रति टन पर आ गए। एशियन थर्मल कोल, एसऐंडपी ग्लोबल प्लेट्स के प्रबंध संपादक दीपक कन्नन ने कहा कि बढ़ती भारतीय मांग और अमेरिका में कुछ शोधशालाओं के रखरखाव से आपूर्ति पर दबाव बना है और इससे दाम में तेजी आई है। इन दोनों की कीमतों में आई तेजी की वजह से सीमेंट उद्योग को लागत में वृद्धि का सामना करना पड़ा है।
सामान्यतः सीमेंट इकाइयां ईंधन के तौर पर या तो कोयले या फिर पेटकोक या इन दोनों में फेर-बदलकर प्रयोग करती हैं। हालांकि इन दोनों की कीमतों में समान रूप से वृद्धि होने के कारण कोयले और पेटकोक को एक-दूसरे से प्रतिस्थापित करना बहुत समझदारी का विकल्प नहीं रहा है। किसी भी कंपनी की लागत में 40 प्रतिशत भाग ईंधन का शामिल होता है और सीमेंट कंपनियों द्वारा 45 दिनों का बफर स्टॉक जमा किया जाता है। श्री सीमेंट के प्रबंध निदेशक एचएम बांगुर ने कहा कि कच्चे माल की लागत बढने और सीमेंट की कीमतों में गिरावट से सीमेंट कंपनियों का मार्जिन प्रभावित हो सकता है। मोतीलाल ओसवाल के एक विश्लेषक ने कहा कि यह लागत ही है जो किसी एक सीमेंट विनिर्माता को दूसरे से अलग करती है और अच्छे परिचालन लाभ को सुनिश्चित करती है। पेटकोक और कोयले-दोनों की कीमतें बढने से यह फायदा लगातार कम होता जा रहा है।
कन्नन को उम्मीद है कि आने वाले साल में पेटकोक के दाम कम होंगे लेकिन अगर यह ऊंचे बने रहते हैं तो इस दशा में सीमेंट कंपनियां थर्मल कोल का इस्तेमाल कर सकती हैं। फिर भी स्पष्टता न होने के कारण कोयले के दाम को लेकर मिश्रित परिदृश्य बना हुआ है। हालांकि उद्योग का अनुमान है कि पेटकोक की बढ़ती कीमतों के कारण सीमेंट फर्मों की कच्चे माल की लागत तीसरी तिमाही की अवधि में 8-15 प्रतिशत तक ऊंची रह सकती है। सरकार द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद से सीमेंट के कट्टे की औसत कीमत 10 प्रतिशत गिरकर 260 रुपए प्रति कट्टा हो गई है। इक्रा की रेटिंग के अनुसार नोटबंदी के बाद सीमेंट की कीमतें दक्षिणी और पश्चिमी बाजारों में विशेषकर प्रभावित हुई हैं और गत माह सभी क्षेत्रों में परिमाण में वृद्धि बुरी तरह से प्रभावित हुई है।