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नोटिस काल के प्रस्ताव पर अदालत जा सकते हैं पायलट

मुंबई,  वाणिज्यिक पायलट उस प्रस्ताव को अदालत में चुनौती दे सकते हैं जिसमें यह अनिवार्य बनाने की पैरवी की गई है कि नौकरी छोड़ने के लिए नोटिस काल को एक साल किया जाए जो फिलहाल छह महीने है। पायलटों के समूह-जेट एयरवेज नेशनल एविटर्स गिल्ड  और एयर इंडिया के इंडियन पायलट गिल्ड  और इंडियन कॉमर्सियल पायलट एसोसिएशन  अगले सप्ताह अदालत का रूख कर सकते हैं।

आईपीजी के एक सदस्य ने कहा, हम नोटिस काल में किसी तरह के विस्तार के खिलाफ हैं और इस बारे में नागर निमानन महानिदेशालय  को अपने विचारों से अवगत करा दिया है। हम इस कदम को चुनौती देने जा रहे हैं। डीजीसीए ने पिछले सप्ताह प्रस्ताव दिया था कि कमांडरों के लिए नोटिस काल को एक साल और सह-पायलट के लिए छह महीने किया जाए।

पायलटों के समूह डीजीसीए के नागर विमान शर्त के मसौदे को बंबई उच्च न्यायालय का रूख करने की योजना बना रहे हैं। यूनियनों का दावा है कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां पायलट के इस्तीफा देने की अवधि या नोटिस काल के बारे फैसला नियोक्ता नहीं, बल्कि सरकार या नियामक द्वारा किया जाता है।