नयी दिल्ली, कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना भालचंद्र वराले ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के पद की शपथ ली।
शीर्ष अदालत में आयोजित एक समारोह में मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने न्यायमूर्ति वराले को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के पद की शपथ दिलाई। इस अवसर पर शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीश मौजूद थे।
न्यायमूर्ति वराले के पदग्रहण के साथ ही शीर्ष अदालत में न्यायाधीश के लिए स्वीकृत 34 न्यायाधीशों की संख्या पूरी हो गई।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल के 25 दिसंबर 2023 को सेवानिवृत्त होने के बाद उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश का एक पद खाली हुआ था।
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग की ओर से 24 जनवरी 2024 बुधवार को एक अधिसूचना जारी कर न्यायमूर्ति वराले की नियुक्ति से संबंधित घोषणा की गई थी।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने 19 जनवरी 2024 को न्यायमूर्ति वराले को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश की थी। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की कॉलेजियम ने एक बैठक में यह फैसला लिया था।
न्यायमूर्ति वराले ( मूल रूप से बॉम्बे उच्च न्यायालय से हैं) उच्च न्यायालयों में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश थे। वह देशभर के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों में से अनुसूचित जाति से संबंधित एकमात्र मुख्य न्यायाधीश थे।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संयुक्त अखिल भारतीय वरिष्ठता क्रम में वह छठवें स्थान पर थे। बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की वरिष्ठता में वह सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश थे।
न्यायमूर्ति वराले को 18 जुलाई 2008 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें 15 अक्टूबर 2022 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले उन्होंने जिला और सत्र न्यायालय में नागरिक, आपराधिक, श्रम और प्रशासनिक कानून मामलों में और औरंगाबाद में उच्च न्यायालय पीठ में संवैधानिक मामलों में 23 वर्षों से अधिक समय तक वकालत किया।