न्यायाधीशों की नियुक्ति में सुधार हेतु उच्चतम न्यायालय ने दिये दिशानिर्देश

न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की कोलेजियम प्रणाली में सुधार कर इसे अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के इरादे से उच्चतम न्यायालय ने कई supreme_court_scbaदिये. उच्चतम न्यायालय ने सरकार से कहा कि इस समय प्रधान न्यायाधीश से परामर्श करके प्रक्रिया के ज्ञापन को अंतिम रूप दिया जाये। न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सरकार से यह भी कहा कि पांच मुख्य पहलुओं –आर्हता का आधार, नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता, चयन प्रक्रिया के प्रबंधन के लिये सचिवालय की स्थापना, उन व्यक्तियों के खिलाफ शिकायतों को निबटाने की व्यवस्था जिनके नामों पर नियुक्ति के लिये विचार हो रहा हो और विविध मसलों–पर भी गौर किया जाये। संविधान पीठ ने कहा कि केन्द प्रधान न्यायाधीश के परामर्श से मौजूदा प्रक्रिया ज्ञापन को अंतिम रूप दे सकता है। उपरोक्त के मद्देनजर, भारत सरकार मौजूदा प्रक्रिया ज्ञापन को प्रधान न्यायाधीश के परामर्श से अंतिम रूप दे सकती है। प्रधान न्यायाधीश शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ सर्वसम्मति की राय के आधार पर निर्णय करेंगे। नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाये रखने के लिये पीठ ने कहा कि आर्हता आधार और न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिये प्रक्रिया ज्ञापन में वर्णित प्रक्रिया का विवरण संबंधित न्यायालय की वेबसाइट और भारत सरकार के न्याय विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जायेगा। प्रक्रिया के ज्ञापन में न्यायाधीशों की नियुक्ति व्यवस्था में पारदर्शिता की जरूरत के अनुरूप इसकी कार्यवाही की गोपनीयता का प्रावधान करते हुये कोलेजियम में न्यायाधीशों की असहमति की टिफ्पणी को दर्ज करने सहित विचार विमर्श का कार्यविवरण तैयार करने हेतु उचित प्रक्रिया का प्रावधान किया जा सकता है।बेहतर प्रबंधन के लिये प्रक्रिया ज्ञापन में ही प्रत्येक उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में सचिवालय की स्थापना तथा इसके काम, कर्तव्य और जिम्मेदारियों का भी उल्लेख किया जा सकता है।
न्यायालय ने विभिन्न पक्षों से मिले सुझावों पर गौर करने के बाद ये दिशानिर्देश जारी किये हैं। संविधान पीठ ने स्पष्ट किया कि उसके आदेश में उल्लिखित दिशानिर्देश प्रक्रिया ज्ञापन को सहयोग करने तथा विचार के लिये सिर्फ सुझाव हैं। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल शामिल हैं।

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