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न्यायाधीशों ने मानव सभ्यता के लिये गंभीर संकट करार देते हुये दुनिया भर के देशों से की ये अपील

लखनऊ, न्यायाधीशों ने भुखमरी,गरीबी, अशिक्षा और आतंकवाद को गंभीर संकट करार देते हुये दुनिया भर के देशों से भावी पीढ़ी के कल्याण के लिये इन बुराइयों के खिलाफ कदमताल मिलाने की अपील की।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल के प्रेक्षागार में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के तीसरे दिन न्यायविदों ने दुनिया के कई हिस्सों में जारी हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि विश्व के कई देश लोगों के उत्थान पर काम करने की बजाय हथियारों पर अधिक खर्च कर रहे हैं। हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है बल्कि इससे मानव सभ्यता दिन पर दिन खतरे की ओर बढ़ रही है।

गुयाना के एक्टिंग चांसलर न्यायमूर्ति योनेट क्यूमिंग एडवर्डस ने कहा ष्हम एक दूसरे पर बंधी मुट्ठी तान कर दुनिया में बदलाव नहीं ला सकते। विश्व के नेताओं का आहवान करते हुए उन्होंने कहा कि हाथ से हाथ मिलाएं और ऐसा विश्व बनाएं जहाँ शांति एवं एकता का साम्राज्य हो और हमारे बच्चे सुरक्षित रह सके। लेसोथो के पूर्व प्रधानमंत्री पकालीथा बी मोसिसिली का कहना था कि सबसे महंगी शान्ति भी वास्तव में सबसे सस्ते युद्ध से सस्ती है।

अफगानिस्तान के न्यायमंत्री डा. अब्दुल बशीर अनवर ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय कानून इतना प्रभावशाली होना चाहिए कि इसमें राजनीतिकरण की कोई गुंजाइश न रह सके। इजिप्ट के डिप्टी चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति आदेल ओमर शोरीफ ने कहा कि ग्लोबल गर्वनेन्स का समय आ चुका है। गैर सरकारी संस्थायें एवं सोशल मीडिया वास्तव में ग्लोबल्स गर्वनेन्स के ही रूप हैं। हमें सोचना है कि किस प्रकार इस राजनैतिक परिवेश को विश्व शांति की स्थापना के लिए इस्तेमाल किया जाए ताकि आने वाली पीढियों के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।