नई दिल्ली, द्रमुक के वरिष्ठ नेता के.एन. नेहरू और उनके बेटे को बड़ा झटका देते हुए उच्चतम न्यायालय ने कथित रूप से आय के ग्यात स्रोत से ज्यादा संपात्ति रखने के मामले में जांच का रास्ता खोल दिया है। साथ ही उसने पूर्व मंत्री और उनकी पत्नी को क्लीन चिट देने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को भी बदल दिया है। उच्चतम न्यायालय ने पूर्व परिवहन मंत्री नेहरू और उनकी पत्नी को क्लीनचिट देने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को बदलते हुए कहा कि जांच लंबित होने के बावजूद उन्हें बरी करना प्रत्यक्षतः असामयिक है और कानून तथा तथ्यों की निगाह में टिकने वाला नहीं है।
आरोप है कि 2006 से 2011 के दौरान तमिलनाडु का परिवहन मंत्री रहते हुए नेहरू, उनकी पत्नी शांता और पुत्र अरूण ने आय के ग्यात स्रोतों से अधिक संपात्ति अर्जति की। वर्तमान में तिरूचिरापल्ली पश्चिम से विधायक नेहरू द्रमुक से चार बार विधायक चुने जा चुके हैं। न्यायमूर्त अरुण मिश्र और न्यायमूर्त अमिताव रॉय की पीठ ने कहा, वादियों को बरी करने संबंधी आदेश को खारिज किया जाता है और इस संबंध में निचली अदालत के फैसले को पुनः बहाल किया जाता है।
न्यायालय ने सतर्कता विभाग को निर्देश दिया है कि वह जल्दी आगे की जांच पूरी करे, ताकि निचली अदालत कानून के अनुरूप आगे बढ़ सके। पीठ ने आगे की जांच पर उच्च न्यायालय तथा निचली अदालत के निर्देशों को बरकरार रखा और कहा कि जांच एजेंसी को आरोपों की गंभीरता और इससे जुड़े भ्रष्टाचार निरोधी तय कानूनों का ख्याल रखना चाहिए और जैसी उससे आशा है, जांच पूरी करनी चाहिए तथा जितनी जल्दी संभव हो रिपोर्ट जमा करनी चाहिए।
न्यायालय ने नेहरू और उनकी पत्नी को बरी करने संबंधी उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका को स्वीकार किया। लेकिन अरुण के खिलाफ आगे की जांच के निर्देश को बरकरार रखा।