न्यायिक कार्यप्रदर्शन सूचकांक के पक्ष में है नीति आयोग

नई दिल्ली, नीति आयोग ने सुनवाई में विलंब और लंबित मामलों के मुद्दे के समाधान के लिए न्यायिक कार्यप्रदर्शन सूचकांक शुरू करने की सलाह दी है। आयोग का कहना है कि भ्रष्टाचार के मामले न्यायिक प्रणाली में लंबे समय तक अटक जाते हैं। उसने उन्हें निबटाने के लिए समयसीमा तय करने की सिफारिश की है।

राजनीति उनकी खत्म हो गई, जो मायावती के बंधुआ मजदूर बने रहे-स्वामी प्रसाद मौर्य

आयोग ने 2017-18 से 2019-20 के लिए तीन साल की मसविदा कार्रवाई कार्यसूची में अनेक न्यायिक सुधार की सलाह दी है। इनमें सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों केे इस्तेमाल और न्यायिक नियुक्तियों को चुस्त-दुरूस्त करना शामिल हैं। यह मसविदा नीति आयोग के संचालन परिषद सदस्यों को 23 अप्रैल को वितरित किया गया।

तीन तलाक पर बीजेपी के मंत्री का विवादित बयान- मुस्लिम,अपनी हवस पूरी करते हैं और..

परिषद के सदस्यों में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हैं। रिपोर्ट कहती है कि अनियमितता के घटित होने की तारीख से ले कर अंतिम चरण तक पहुंचने में कोई प्रमुख सतर्कता मामला आठ साल से ज्यादा समय लेता है। उसने भ्रष्टाचार के मामलों में नीति-निर्धारण की प्रक्रिया तेज करने की जरूरत पर बल दिया है।

 सीएम योगी ने सुनायी, कृष्ण और सुदामा के बीच हुये, कैशलेस ट्रांजेक्शन की कहानी

रिपोर्ट में न्यायिक कार्यप्रदर्शन सूचकांक शुरू करने की भी सलाह दी है। मसौदा में कहा गया है, इस तरह का कोई सूचकांक उच्च न्यायालयों की मदद के लिए स्थापित किया जा सकता है और मुख्य न्यायाधीश विलंब घटाने के लिए जिला अदालतों और निम्न अदालतों के स्तर पर कार्यप्रदर्शन एवं प्रक्रिया सुधार पर निगाह रखेंगे। इसमें कहा गया है कि इसमेें विभिन्न प्रकार के मामलों के लिए गैर-अनिवार्य समयसीमाएं तय करने की जरूरत होगी।

गांवों को 24 घंटे बिजली देने के लिये, मुख्यमंत्री योगी ने लगायी जरूरी शर्त

Related Articles

Back to top button