दिल्ली मे अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के राष्ट्रीय अधिवेशन के अवसर पर यूपी सरकार मे दर्जा प्राप्त कैबिनेट मंत्री, िहंदी संस्थान के चेयरमैन और अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदयप्रताप सिंह यादव से यूपी भवन मे सामाजिक व राजनैतिक मुद्दों पर हुई बातचीत के अंश-
अनुराग यादव- अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के राष्ट्रीय अधिवेशन का मुख्य एजेण्डा क्या है?
उदयप्रताप सिंह यादव – अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के राष्ट्रीय अधिवेशन के मुख्य तीन एजेण्डे हैं। हमारी मुख्य मांग सेना मे अहीर रेजीमेंट का गठन , जातिगत जनगणना और लोकतंत्र के तीनों स्तंभों मे आबादी के अनुपात मे भागीदारी की मांग है।
अनुराग यादव- अहीर रेजीमेंट की मांग क्यों?
उदयप्रताप सिंह यादव – अहीर रेजीमेंट का गठन, हमारी मुख्य मांग है। कई सालों से यादव समाज केन्द्र सरकार से यह मांग कर रहा है कि सेना मे यादवों के योगदान और उनकी संख्या को देखते हुये अन्य जातियों की भांति यादवों के नाम पर यादव रेजीमेंट या अहीर रेजीमेंट का गठन किया जाये। जो अभी तक पूरी नही हुई। केन्द्र की सरकारें लगातार यादव समाज की मांगों को अनसुना कर रही है।
अनुराग यादव- यह मांग कहां तक जायज है?
उदयप्रताप सिंह यादव – अहीर रेजीमेंट के गठन की मांग पूरी तरह जायज है। जब राजपूतों के नाम पर राजपूत रेजीमेंट, सिक्खों के नाम पर सिक्ख रेजीमेंट, गोरखा रेजीमेंट हो सकती है तो यादव रेजीमेंट क्यों नही बन सकती है।
अनुराग यादव- लेकिन सेना मे जाति के नाम पर रेजीमेंट को तो समाप्त किया जा चुका है?
उदयप्रताप सिंह यादव – अगर केन्द्र सरकार जाति के नाम पर रेजीमेंट नही बनाना चाहती है तो स्थान के नाम पर बना दे, अहीर रेजीमेंट के स्थान पर अहीरवाल रेजीमेंट भी ठीक है। सेना मे स्थानों के नाम पर भी कई रेजीमेंट हैं। जैसे- कुमांऊ रेजीमेंट, गढवाल रेजीमेंट, पंजाब रेजीमेंट आदि।
अनुराग यादव- जातिगत जनगणना से क्या फायदा है?
उदयप्रताप सिंह यादव – यादव समाज की आबादी पूरे देश मे १८ प्रतिशत के करीब है। लेकिन सरकारी नौकरियों से लेकर, न्यायपालिका, ब्यूरोक्रेसी, व्यापार, धन सम्पदा मे यादवों की भागीदारी आबादी के अनुपात मे नगण्य है। जातीय जनगणना से न केवल यादव समाज बल्कि पिछड़े वर्ग, दलित और आदिवासी जातियों को भी लाभ मिलेगा जिनका कार्यपालिका न्यायपालिका, िवधायिका आदि मे आबादी के अनुपात मे ऊचित प्रतिनिधित्व नही है। जातीय जनगणना से स्थिति स्पष्ट होने के बाद सभी जातियों की भागीदारी सुनिशचित की जा सकती है।
अनुराग यादव- आप आबादी के अनुपात मे प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं, जबकि हालात ये हैं कि ओबीसी का २७ प्रतिशत आरक्षण होने के बावजूद मात्र ८ प्रतिशत सीटे ही केन्द्र सरकार की नौकरियों मे भरी गई हैं?
उदयप्रताप सिंह यादव – इसीलिये तो हम हर क्षेत्र मे भागीदारी की मांग कर रहें हैं। केन्द्र की सरकारों ने आरक्षण को पूरे मन से लागू नही किया है। इसीलिये एक तरफ आरक्षित सीटें खाली पड़ी हैं दूसरी तरफ पिछड़े वर्ग के पढ़े लिखे नौजवान बेरोजंगार घूम रहे हैं। हाल ही मे गुजरात हाईकोर्ट अनारक्षित सीटों मे एससी, एसटी और ओबीसी के उम्मीदवारों को न लिये जाने का अजीबोगरीब फरमान जारी कर दिया है, जिससे १५ प्रतिशत आबादी वाले सामान्य वर्ग को अघोषित रूप से ५०.५ प्रतिशत का आरक्षण मिल गया है।
अनुराग यादव- केन्द्र सरकार की भांति आपकी यूपी सरकार भी तो एससी, एसटी और ओबीसी के साथ अन्याय कर रही है, यूपी के ज्यादातर भर्ती बोर्डों मे भी आरक्षण की सही प्रक्रिया नही अपनायी जा रही है। सामान्य वर्ग को अघोषित रूप से ५०.५ प्रतिशत का आरक्षण मिला हुआ है, जिसका परिणाम यह है कि एससी और ओबीसी की मेरिट हाई जा रही है और सामान्य की मेरिट कम जा रही है।
उदयप्रताप सिंह यादव – कई अधिकारी नियमों का सही तरह से पालन नही कर रहे हैं, आरक्षण देने मे लापरवाही कर रहे हैं। सच तो यह है कि जब तक न्यायिक सेवाओं मे एससी, एसटी और ओबीसी को समानुपातिक भागीदारी नही मिलती है, तब तक आरक्षण का पूरा लाभ इन वर्गों को नही मिल पायेगा। इसीलिये अब हमारी मांग है कि केन्द्र सरकार न्यायिक सेवाओं मे एससी, एसटी और ओबीसी को समानुपातिक भागीदारी सुनिश्चित करे। क्योंकि कोर्ट के आगे विधायिका और मुख्यमंत्री भी असहाय हो जाता है।