नई दिल्ली, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि उनकी सरकार पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर काफी गंभीर है। और वे शीघ्र ही राज्य सरकारों से विचार विमर्श करके कोई सार्थक कानून बनाने की पहल करेंगे। उन्होंने लघु और मध्यम समाचार पत्रों के लिये प्रस्तावित विज्ञापन नीति को लागू करने से पहले विभिन्न संगठनों से बात करके ही कोई निर्णय लेंगे। श्री राठौर ने यह आश्वासन आज इंडियन फैडरेशन आफ वर्किंग जर्नालिस्टस के एक प्रतिनिधि मंडल को दिया।
प्रतिनिधिमंडल में आईएफडब्ल्यूजे के उपाध्यक्ष हेमंत तिवारी व उमेश कुमार, प्रधान महासचिव परमानंद पाण्डेय एवं कोषाध्यक्ष रिंकू यादव शामिल थे। आईएफडब्ल्यूजे प्रतिनिधिमंडल ने जयपुर सम्मेलन में पारित दो प्रस्तावों से संबंधित दो अलग अलग ज्ञापन कंद्रीय राज्यमंत्री राठौर को दिये, पहला ज्ञापन पत्रकारों की सुरक्षा से संबंधित मजबूत कानून बनाने से संबंधित था। और दूसरा सरकार की नई विज्ञापन नीति से संबंधित था।
पत्रकारों की सुरक्षा पर आईएफडब्ल्यूजे ने मांग की है कि इस पर ऐसा कानून बनाया जाये जिससे गुंडे, माफिया और असामाजिक तत्व उन पर हमला करने को सोच भी न सकें। और जो लोग उनपर हमला करें उन्हें कठोर दंड दिया जाये। इसके अलावा पत्रकारों को झूठे मुकदमों में फंसाने वाली एफआईआर दर्ज करने से पहले पूरी निष्पक्ष जांच सक्षम अधिकारी द्वारा करा ली जाये। देखा ये गया है कि जिन भ्रष्ट एवं असामाजिक तत्वों के कारण पत्रकार रिपोर्ट करता है, वे बौखला कर न केवल उनपर हमले करवाते हैं, बल्कि शासन प्रशासन से मिलकर उन्हें झूठे मुकदमें में भी फंसा देते हैं। आईएफडब्ल्यूजे की मांग है कि पत्रकारों के लिये जोखिम बीमा योजना हो जो कम कम से एक करोड़ रुपए की हो। पत्रकारों के दुखद निधन पर उनके परिवार को पर्याप्त अनुग्रह राशि और किसी सदस्य को नौकरी भी दी जाये।
आईएफडब्ल्यूजे का मानना है कि सरकार की प्रस्तावित विज्ञापन नीति छोटे एवं मझले समाचार पत्रों के प्रति भेदभाव पूर्ण है, जबकि बड़े समाचार पत्रों के लिये कोई शर्त नहीं रखी है। किन्हीं तीन समाचार एजेंसियों की अनिवार्यता पर भी आईएफडब्ल्यूजे ने अपनी आपत्ति जतायी है। संगठन ने यह भी मांग की है कि सभी समाचार पत्र श्रम कानूनों का पूरी तरह पालन करें। और उन बड़े समाचार पत्रों का विज्ञापन तुरंत बंद कर दिया जाये जिन्होंने अभी तक मजेठिया वेज बोर्ड की सिफारशों को लागू नहीं किया है। कंद्रीय राज्य मंत्री ने करीब एक घंटे विस्तार से चली बातचीत के बाद प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि इन दोने विषयों में कोई भी निर्णय लेने से पहले इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नालिस्टस संगठन से विस्तृत विचार विमर्श किया जायेगा।