पद्म भूषण से सम्मानित वैज्ञानिक पुष्प मित्र भार्गव ने अपना पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। जाने-माने वैज्ञानिक पुष्प मित्र भार्गव ने कहा कि वह अपना पद्म भूषण पुरस्कार लौटा रहे और उन्होंने आरोप लगाया कि राजग सरकार भारत को ‘हिंदू धार्मिक निरंकुशतंत्र’ में बदलने का प्रयास कर रही है।। इस तरह वह भी अन्य वैज्ञानिकों की तरह ‘बढ़ती असहिष्णुता’ के विरोध में शामिल हो गए हैं।
भार्गव ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि सीएसआईआर के निदेशकों की एक बैठक थी और उसमें संघ के लोग शामिल हुए। सीएसआईआर के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। मैं अपना पुरस्कार अगले हफ्ते लौटाउंगा। पद्म भूषण से सम्मानित वैज्ञानिक ने कहा कि देश में ‘डर का माहौल’ है और यह तर्कवाद, तार्किकता और वैज्ञानिक सोच के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि मैंने पुरस्कार को लौटाने का निर्णय लिया है। इसका कारण यह है कि वर्तमान सरकार लोकतंत्र के रास्ते से दूर जा रही है और देश को पाकिस्तान की तरह हिंदू धार्मिक निरंकुशतंत्र में बदलने की ओर अग्रसर है। यह स्वीकार्य नहीं है, मैं इसे अस्वीकार्य मानता हूं। उन्होंने आरोप लगाया कि कई पदों पर उन लोगों की नियुक्ति की गई जिनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कोई ना कोई संबंध था।
भार्गव ने कहा कि उनका कदम राजनीति से प्रेरित नहीं है। उन्होंने कहा कि असहमति, असहमति होती है और एक ऐसा विशेष बिंदु होता है जिससे आप असहमत होते हैं। उन्होंने कहा कि मैं संप्रग सरकार का भी कटु आलोचक रहा हूं। मैंने अपनी किताब ‘ए क्रिटिक एगेंस्ट द नेशन’ में संप्रग सरकार की आलोचना की है लेकिन संप्रग सरकार हमें नहीं बताती थी कि हमें क्या खाना है, कैसे कपड़े पहनना चाहिए और ना ही हमें नैतिकता का पाठ पढ़ाती थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार हमें यह सब बता रही है जिसे मैं अस्वीकार्य पाता हूं, इन सभी निर्णयों में हमें तर्कहीनता नजर आती है। भार्गव ने कहा कि देश में भयानक डर का माहौल है और मैं इससे निराश हूं। यह मेरा और मेरे परिवार का निजी निर्णय है और कोई इसमें शामिल नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत एक समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य है और वर्तमान सरकार धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और लोकतंत्र से दूर जा रही है।
पद्म भूषण से सम्मानित वैज्ञानिक पुष्प मित्र भार्गव ने अपना पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। जाने-माने वैज्ञानिक पुष्प मित्र भार्गव ने कहा कि वह अपना पद्म भूषण पुरस्कार लौटा रहे और उन्होंने आरोप लगाया कि राजग सरकार भारत को ‘हिंदू धार्मिक निरंकुशतंत्र’ में बदलने का प्रयास कर रही है।। इस तरह वह भी अन्य वैज्ञानिकों की तरह ‘बढ़ती असहिष्णुता’ के विरोध में शामिल हो गए हैं।