पन्ना, मध्यप्रदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व जहां दस वर्ष पहले बाघविहीन घोषित कर दिया गया थाए वहीं अब ठीक दस वर्ष बाद 50 से अधिक बाघए बाघिन और उनका कुनबा इस रिजर्व की शोभा बढ़ा रहा है। टाइगर रिजर्व में इन दिनों तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर श्रीनिवास मूर्ति की अगुवायी में सैकड़ों वन्यजीव प्रेमी दस वर्ष पहले की गयी मेहनत से जुड़ी स्मृतियों को ताजा करते हुए अनेक कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।
बाघ को फिर से पन्ना टाइगर रिजर्व में बसाने के लिए पूरे दस वर्ष पहले एक महत्वाकांक्षी योजना प्रारंभ की गयी थीए जिसके तहत राज्य के कान्हा और बांधवगढ़ वन क्षेत्र से एक एक बाघिन और पेंच वन क्षेत्र से एक बाघ लाकर छोड़ा गया। दरअसल मार्च 2009 में पन्ना को आधिकारिक तौर पर बाघविहीन घोषित कर दिया गया था। इसके बाद ही बाघों को फिर से बसाने की योजना पर अमल किया गया।
पेंच से लाए गए बाघ को पन्ना टाइगर रिजर्व क्षेत्र में नवंबर 2009 में छोड़ा गया थाए लेकिन उसकी मुलाकात दोनों बाघिनों से नहीं हो पायी और बाघ जंगली इलाके से अपने पुराने ठिकाने पेंच की ओर 27 नवंबर को चला गया था। इस सूचना पर वन अमले में कुछ समय के लिए मायूसी छा गयीए लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व के बाहर भी उसकी खोजबीन शुरू हुयी। रिजर्व के क्षेत्र संचालक आर श्रीनिवास मूर्ति की अगुवायी में दर्जनों अधिकारी कर्मचारीए हाथी और वाहनों की मदद से बाघ को लगभग बीस दिनों में खोजा गया।
दिसंबर माह की हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बावजूद वन विभाग के अमले ने लगभग 20 दिनों की मेहनत के बाद बाघ की लोकेशन पता कर ली और फिर उसे 25 दिसंबर 2009 को बेहोश करके पकड़ा गया। इसके बाद उसे वापस पन्ना लाया गया और 26 दिसंबर को पन्ना टाइगर रिजर्व में छोड़ दिया गया। इसके बाद बाघ ;टी वनद्ध की मुलाकात बाघिन ;टी थ्रीद्ध से हुयी और रिजर्व में नन्हे शावकों के आने का सिलसिला शुरू हो गया।
अब वर्तमान में पन्ना टाइगर रिजर्व में लगभग 54 बाघए बाघिन और शावक हैं। ये कुनबा देश ही नहीं विदेश के पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। वहीं दूसरी ओर दस वर्ष पहले बाघों को फिर से बसाने के प्रयासों को ताजा करने के लिए यहां इन दिनों विशेष आयोजन किए जा रहे हैं। इन आयोजन के जरिए यह दिखाने का प्रयास किया जा रहा है कि अथक मेहनत से कैसे इस टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ाया गया।
देश विदेश से जुटे वन्यजीव प्रेमी उस मार्ग पर भी पैदल घूम रहे हैंए जिससे होते हुए बाघ गया था और फिर उसे वापस लाया गया। वन्यजीवों की रक्षा के उद्देश्य से यह सब आयोजन किए जा रहे हैं।