पहलगाम हमले पर प्रधानमंत्री मोदी का रवैया उचित नहीं : मल्लिकार्जुन खरगे

नयी दिल्ली, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुई आतंकी हमले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रवैया उचित नहीं है और उन्होंने इस मुद्दे पर जब सर्वदलीय बैठक बुलाई तो चुनावी भाषण देने जाने की बजाय उन्हें खुद बैठक में शामिल रहकर स्थिति की सच्चाई से देश को अवगत कराना चाहिए था।

मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री के इस रवैये से स्पष्ट है कि वह इस हमले को लेकर गंभीर नहीं थे। वह इस बैठक में न खुद शामिल हुए और ना उन्होंने देश को बताया कि यह सुरक्षा में चूक थी, खुफिया तंत्र की विफलता थी या कोई और वजह थी जिसके कारण इतनी भीषण वारदात पहलगाम में हुई है। उनका कहना था कि खुद प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर देश को स्पष्टीकरण देना चाहिए था।

मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा “प्रधानमंत्री मोदी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी और सभी दलों के नेता उसमें शामिल हुए। बैठक में संसद की दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी मौजूद थे। जब भी सरकार इस तरह की बैठक बुलाती है तो सरकार के प्रमुख प्रतिनिधि प्रधानमंत्री को बैठक में शामिल होना चाहिए। इस बैठक में प्रधानमंत्री का गैर मौजूद रहना उचित नहीं था। इतनी गंभीर घटना हुई जिसमें जरीब 26 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए।”

उन्होंने कहा “प्रधानमंत्री का रवैया ठीक नहीं है। वे चुनावी भाषण देने बिहार गए, लेकिन दिल्ली नहीं आ सके। इससे पता चलता है कि वे मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। उन्हें कहीं अन्यत्र अंग्रेजी और हिंदी में भाषण देने के बजाय यहां आकर इस बारे में उचित स्पष्टीकरण देना चाहिए था कि आखिर हुआ क्या और ऐसा क्यों हुआ। इसके लिए कौन जिम्मेदार है। क्या यह सुरक्षा चूक थी, खुफिया चूक थी, आईबी की चूक थी, तंत्र की विफलता थी या पुलिस की विफलता थी। हमें यह बताया जाना चाहिए कि यह किसकी विफलता थी लेकिन वे आए ही नहीं। नतीजतन, बैठक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में आयोजित की गई।”

मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा “केंद्र सरकार ने खुद माना है कि यह सुरक्षा में चूक थी। इसीलिए बैठक बुलाई गई, गृहमंत्री अमित शाह ने यह बात कही और हमने श्री शाह से कहा कि इसे चुनौती के रूप में लिया जाना चाहिए। सब कुछ ठीक से व्यवस्थित होना चाहिए था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उचित व्यवस्था नहीं की गई और स्थिति इस तरह से बन गई। उस समय श्री शाह ने हमें आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होंगी। तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद सरकार इतने लोगों की सुरक्षा करने में असमर्थ थी। फिर भी, राष्ट्र और इसकी एकता के दृष्टिकोण से, हमने उन्हें देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक साथ आने के लिए कहा। हमने यह भी बताया कि हम सरकार के फैसले का समर्थन करते हैं।”

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