पांच साल का काम और नोटबंदी से हुई परेशानियां हमें चुनाव जितायेंगी- अखिलेश यादव

लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में हमारा पांच साल का काम और नोटबंदी से हुई परेशानियां हमें चुनाव जितायेंगी।
अखिलेश ने एक साक्षात्कार में कहा कि हमारा पांच साल का काम और नोटबंदी से हुई परेशानियां हमें चुनाव जितायेंगी। जो लाइनें एटीएम के बाहर दिख रही हैं, वे हमें चुनावी बूथ के बाहर नजर आयेंगी। उन्होंने कहा, भाजपा को अपना काम दिखाना होगा कि ढाई साल में यहां क्या किया। प्रधानमंत्री यहां से चुनाव जीते, गृहमंत्री यहां से और रक्षा मंत्री भी यहां से राज्यसभा में गए। सबसे ज्यादा सांसद उनके यूपी से हैं और उन्होंने राज्य को कुछ नहीं दिया। सिर्फ एक एक आदर्श गांव दिया और वहां कुछ हो नहीं रहा।
अखिलेश ने कहा, बीएसपी सरकार में आकर सिर्फ हाथी लगाती है। नौ साल हो गए हाथी एक इंच मूव नहीं किये। ऐसे लोगों को इस बार वोट नहीं देगी जनता।
मुसलमान मतदाताओं पर ज्यादा फोकस करने से युवा वोटबैंक खिसकने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अब राजनीति बदल चुकी है और जातिगत मसले अहम नहीं रह गए। उन्होंने कहा, मुसलमान मतदाताओं के अपने अलग तरह के सवाल हैं। अगर मैं विकास का काम कर रहा हूं तो उन्हें भी तो लाभ मिलना चाहिये। उनका जितना हक है उतना मैं दे रहा हूं। बात समझाई जाये तो कोई इसका बुरा नहीं मानेगा। लेकिन कुछ लोग धर्म को आधार बनाकर लाभ लेना चाहते हैं लेकिन उससे लाभ मिलेगा नहीं। अब राजनीति बदल गई है और आसपास की जितनी सरकारें लौटी है, वे विकास के मुद्दे पर जीती हैं। उन्होंने कहा, अखबार, टीवी, रेडियो, फेसबुक, वाट्सअप से लोग जुड़े हुए हैं। दुनिया भर से जानकारी मिल रही है और लोग जहर की नहीं खुशहाली की, विकास की राजनीति चाहते हैं।
यह पूछने पर कि पारिवारिक कलह से क्या वह अभी भी आहत हैं, अखिलेश ने कहा, अगर मैं बाधाओं में उलझ जाता तो इतने बड़े कामों को लेकर जनता के बीच नहीं जा सकता था। लोकत्रंत्र में सबको साथ लेकर सभी की राय से चलना पड़ता है और सर्वसम्मति से फैसले अच्छे होते हैं। मुझे जो कहना था, मैंने पार्टी के भीतर कहा। अब तो मुद्दे बदल गए। राजनीति आगे बढ़ गई। केंद्र ने वैसे भी नोटबंदी करके अब ऐसा मुद्दा दे दिया है कि दूसरे सारे मुद्दे पीछे छूट गए। कानून और व्यवस्था प्रदेश में बड़ा मसला रहा है लेकिन अखिलेश ने कहा कि उनकी सरकार लोगों का भरोसा बहाल करने के लिये कदम उठा रही है। यह पूछने पर कि क्या आगामी चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वालों को टिकट नहीं दिये जायेंगे, उन्होंने कहा कि यह फैसला उन्हें नहीं लेना है। उन्होंने कहा कि मेरे हाथ में टिकट वितरण नहीं है। मैं सुझाव ही दे सकता हूं। यह राष्ट्रीय अध्यक्ष को तय करना है। मैं अपनी राय और सुझाव जरूर दूंगा।
उन्होंने कहा, जहां तक कानून और व्यवस्था का सवाल है तो लोगों का भरोसा पाने की कोशिशें जारी हैं। मैंने न्यूयार्क, सिंगापुर, हयूस्टन अपनी टीम भेजकर पुलिस सिस्टम को समझा। पहली इमरजेंसी सर्विस डायल 100 शुरू की जो सिलसिलेवार पूरे राज्य में लागू होगी लेकिन सब कुछ राज्य के हाथ में नहीं है। अभी लखनऊ में बांग्लादेशियों द्वारा डकैती की घटना हुई तो इस पर बीएसएफ की क्या जिम्मेदारी है और केंद्र की जिम्मेदारी क्या है। उन्हें पासपोर्ट कैसे मिला। अपने मौजूदा कार्यकाल से मिले सबक के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि अब वह और परिपक्वता और अनुभव के साथ उतर रहे हैं और अगली पारी में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। उन्होंने कहा,अब उम्र बढ़ी है और अनुभव भी। घोषणा पत्र में जो जनता से वादे किये थे, पूरे किये हैं। अगली पारी में लक्ष्य यूपी को नंबर एक राज्य बनाने का होगा। सपा ने 2012 में उत्तर प्रदेश में 401 सीटों पर चुनाव लड़कर 224 सीटें जीती थीं जबकि बसपा 403 में से 80 सीट जीतकर दूसरे स्थान पर रही थी। भाजपा को 47 और कांग्रेस को 28 सीटें मिली थीं।