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पाकिस्तानी जुल्म की कहानी, भारतीय सैनिक चंदू चौहान की जुबानी

chanduमुंबई, पिछले साल 29 सितंबर को गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच जाने वाले भारतीय सैनिक चंदू चौहान ने पाकिस्तान में उनपर हुई जुल्म और टॉर्चर की जो दास्तां बताई है, उसे सुनकर रूह तक कांप जाए। चंदू को पाकिस्तानी सेना ने 21 जनवरी को रिहा कर दिया था। चंदू के भाई भूषण ने बताया कि चंदू को पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों ने बुरी तरह टॉर्चर किया। चंदू को कभी सोने नहीं दिया गया और उसे पूरी गिरफ्तारी के दौरान अंधेरे कमरे में अकेले रखा जाता था। भूषण ने कहा कि चंदू ने गिरफ्तारी के बाद पहली बार 21 जनवरी को वाघा सीमा पर रोशनी देखी।

चंदू को लगातार कुछ ड्रग्स दिए जाते थे और उसके बाद उससे सेना के कई अधिकारी पूछताछ करते थे। उसे लगातार पीटा जाता था, उसकी आंखों पर पट्टी बांधकर सेना के एक कैंप से दूसरे कैंप में ले जाया गया। भूषण ने बताया कि चंदू की अंगुली टूट गई है और घुटने में चोट है। भूषण के दादा चिंदा पाटिल ने बताया कि चंदू फिलहाल सामान्य है लेकिन वह मानसिक तौर पर काफी सदमे में है और उसके रिकवर होने में वक्त लगेगा।

पाकिस्तान ने 21 जनवरी को किया था रिहा:- केन्द्रीय रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे के आग्रह के बाद सोमवार को सेना के अधिकारियों की मौजूदगी में भूषण और चिंदा पाटिल को अमृतसर के सेना अस्तपाल में चंदू से मिलने की इजाजत दी गई। 37 राष्ट्रीय रायफल्स बटालियन के जवान 22 वर्षीय चंदू जम्मू-कश्मीर के मेंढर में तैनात थे। भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में की गई सर्जिकल स्ट्राइक के 3 दिन बाद गलती से चंदू एलओसी पार कर पाकिस्तानी सीमा में पहुंच गए थे। भारत के कूटनीतिक दबाव के कारण पाकिस्तान ने चंदू को 21 जनवरी को रिहा किया था।

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