इस्लामाबाद, पाकिस्तान की राजनीति में मंगलवार को उस समय तूफानी घटनाक्रम सामने आया जब सरकारी गोपनीयता कानून मामलों की विशेष अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी को सिफर मामले में मंगलवार को 10 साल जेल की सजा सुनाई।
मामले की सुनवाई की शुरुआत में श्री खान और श्री क़ुरैशी को पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 342 के तहत एक प्रश्नावली दी गई। श्री खान की ओर से अपना बयान दर्ज करने के बाद अदालत ने उनसे सिफर के ठिकाने के बारे में पूछा, जिस पर उन्होंने जवाब दिया, “मैंने अपने बयान में यही कहा है जो मुझे नहीं पता। सिफर मेरे कार्यालय में था।”
सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने दोनों नेताओं को 10 साल जेल की सजा सुनायी। फैसला सुनाने के बाद न्यायाधीश अदालत कक्ष से बाहर चले गए। श्री कुरैशी ने यह कहते हुए विरोध जताया कि उनका बयान दर्ज नहीं किया गया।
विशेष अदालत का यह फैसला पाकिस्तान में आगामी आठ फरवरी को होने वाले संसदीय चुनाव से नौ दिन पहले आया है। इस चुनाव में पाकिस्तान तहरी-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) सरकार की सख्ती के बीच और बिना किसी चुनावी चिह्न के भी चुनाव लड़ रही है।
बदले घटनाक्रम में अब श्री खान और श्री क़ुरैशी दोनों नेता अगले पांच साल के लिए कोई चुनाव नहीं लड़ सकते।
इस बीच पीटीआई के एक नेता ने एक्स पर लिखा, “पाकिस्तान इमरान और क़ुरैशी के साथ खड़ा है। दोनों ने देश को बचाने का काम किया है और हकीकी आज़ादी के लिए खड़े हुए हैं। सिफर मामले में कानून का पूरी तरह से मजाक बनाया गया और उसकी अवहेलना की गयी है। दोनों को न्याय दिलाने की हम अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी नहीं भूलेंगे।”
सिफर मामला पाकिस्तान में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है। यह पहली बार 27 मार्च- 2022 को सामने आया था। सत्ता से बेदखल होने के बाद श्री खान ने एक रैली के दौरान कुछ कागजात लहराए थे। उन्होंने दावा किया था कि उन्हें सत्ता से हटाने के लिए अमेरिका समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय ताकतों की ओर से साजिश रची गई थी।