पाकिस्‍तानी सेना को धूल चटाने वाला हीरो नही रहा

1971 युद्ध के हीरो लेफ्टिनेंट जनरल जैक फर्ज राफेज जैकब का बुधवार को निधन हो गया। वे 92 साल के थे और अकेले रह रहे थे।जैकब का जन्‍म कोलकाता में हुआ था और उनके पूर्वज सीरिया के बगदादी यहुदी परिवार से ताल्‍लुक रखता था। उनका पूरा नाम जैक फर्ज राफेज जैकब था। अपने 36 साल के सैन्‍य कॅरियर में उन्‍होंने दूसरे विश्‍व युद्ध और 1965 में पाकिस्‍तान से जंग के साथ ही कई लड़ाइयों में हिस्‍सा लिया। बांग्‍लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान अपनी भूमिका के लिए उन्‍हें खासी प्रसिद्धि मिली। एडोल्‍फ हिटलर के विध्‍वंस के jack-jacob-620x400चलते उन्‍हें भारत में ब्रिटिश सेना में जाने की प्रेरणा मिली। जैकब की पढ़ाई इंग्‍लैण्‍ड और अमेरिका की मिलिट्री स्‍‍कूलों में हुई और उन्‍होंने इराक व बर्मा में भी युद्धों में हिस्‍सा लिया। बंटवारे के बाद वे भारतीय सेना में शामिल हो गए और 1965 की जंग के दौरान उन्‍होंने राजस्‍थान में इंफेंट्री डिवीजन का नेतृत्‍व किया। 1969 में उन्‍हें ईस्‍टर्न कमांड का चीफ ऑफ स्‍टाफ बनाया गया। उनके नेतृत्‍व में ही भारतीय सेना ने पूर्वी पाकिस्‍तान में पाकिस्‍तानी सेना को धूल चटाई। वास्‍तव में तो वे पूरे पूर्वी पाकिस्‍तान पर कब्‍जा करना चाहते थे। उनके नेतृत्‍व के चलते ही 90 हजार से ज्‍यादा पाकिस्‍तानी सैनिकों को सरेंडर करना पड़ा और भारत के साथ संधि करने को मजबूर होना पड़ा।

जैकब की अगुवाई में भारतीय सेना ने पूर्वी पाकिस्‍तान पर धावा बोला और दो सप्‍ताह बाद ही जैकब को पाकिस्‍तानी सेना के जनरल एएके नियाजी ने युद्धविराम पर चर्चा के लिए लंच पर बुलाया। मौके को देखते हुए जैकब ने संधि पत्र तैयार कराया और बिना हथियार के अपने एक साथी अफसर के साथ पूर्वी पाकिस्‍तान चले गए। वहां जाते ही जैकब ने नियाजी के सामने दो विकल्‍प रखे, पहला, बिना शर्त और सार्वजनिक रूप से सरेंडर कर दो और बदले में अल्‍पसंख्‍यकों व सेना के लिए सुरक्षा मिलेगी। दूसरा, ऐसा नहीं मानने पर भारतीय सेना का कहर झेलो। नियाजी ने आधे घंटे का समय मांगा और 93 हजार सैनिकों के साथ सरेंडर कर दिया।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताया है। वे गोवा और पंजाब के राज्‍यपाल भी रहे। पिछले दिनों ही उन्‍होंने पीएम नरेन्‍द्र मोदी से मुलाकात की थी और उन्‍हें अपनी किताब- बांग्‍लादेश स्‍ट्रगल- एन ऑडिसी इन वार एंड पीस एंड सरेंडर एट ढाका भी भेंट की थी।  यहूदी होने के नाते जैकब चाहते थे कि भारत और इजरायल के रिश्‍ते मजबूत बने। इसी के चलते 2004 में लोकसभा चुनावों के दौरान उन्‍होंने भाजपा का समर्थन किया था और कहा था कि मई में भारत में होने वाले चुनावों में कांग्रेस की जीत से भारत की इजरायल को लेकर नीति में बदलाव नहीं आएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button