मुंबई, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार जारी बिकवाली के दबाव में बीते सप्ताह करीब ढाई प्रतिशत की गिरावट में रहे घरेलू शेयर बाजार की चाल अगले सप्ताह विनिर्माण पीएमआई, वाहन बिक्री आंकड़े और कंपनियों के तिमाही परिणाम से तय होगी।
बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1822.46 अंक अर्थात 2.24 प्रतिशत का गोता लगाकर सप्ताहांत पर करीब नाै सप्ताह बाद 80 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे 79402. 29 अंक पर आ गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 673.25 अंक यानी 2.7 प्रतिशत लुढ़ककर 24180.80 अंक रह गया।
समीक्षाधीन सप्ताह में दिग्गज कंपनियों के मुकाबले बीएसई की मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों में अधिक गिरावट रही। इस दौरान मिडकैप 2493.5 अंक अर्थात 5.2 प्रतिशत टूटकर सप्ताहांत पर 45452.83 अंक और स्मॉलकैप 4164.39 अंक यानी 7.4 प्रतिशत कमजोर होकर 52335.66 अंक पर बंद हुआ।
विश्लेषकों के अनुसार, बाजार के लिए एक बीता सप्ताह कठिन रहा। वर्तमान भू-राजनीतिक तनाव और एफआईआई की ओर से अचानक की गई प्रतिक्रिया से निवेशकों का मनोभाव थोड़ा निराशाजनक हो गया, जिससे निवेश धारणा प्रभावित हुई। मुख्य सूचकांक निफ्टी और सेंसेक्स में क्रमशः 2.7 प्रतिशत और 2.24 प्रतिशत की गिरावट आई वहीं मंदड़ियों ने मिडकैप और स्मॉलकैप को तहस-नहस कर दिया और इनमें क्रमश: 5.2 प्रतिशत और 7.4 प्रतिशत की गिरावट आई। हाल के उच्च स्तर से मुख्य सूचकांक करीब आठ प्रतिशत तक गिर गए हैं। एफआईआई की लगातार जारी बिकवाली और घरेलू बाजार में ट्रिगर्स की कमी से बाजार में निकट अवधि की धारणा प्रभावित हो सकती है।
साथ ही कंपनियों के वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तमाही के नतीजे कमजोर मांग और मार्जिन दबाव के कारण प्रभावित हुए, जिससे एफएमसीजी, धातु, ऑटो और रियल्टी समूह के शेयर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए जबकि आईटी अपेक्षाकृत स्थिर रहा तथा बीएफएसआई खर्च में वृद्धि तथा अमेरिकी खर्च में अनुकूल संभावना की उम्मीद में समग्र घाटे में इसका योगदान कम रहा। उम्मीद है कि समेकन अल्पावधि में जारी रहेगा। प्रवृत्ति में बदलाव एफआईआई की बिक्री तीव्रता में मंदी और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम पर निर्भर करेगा।
मूल्यांकन में नरमी, वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में आय में वृद्धि तथा 2025 में आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद से बाजार को समर्थन मिलेगा। अगले सप्ताह बाजार की नजर उपभोग, एफएमसीजी, बुनियादी ढांचा, नई पीढ़ी की कंपनियां, विनिर्माण और रसायन क्षेत्र की कंपनियों पर रहेगी।